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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेवा के अधिवक्ता की जमानत याचिका खारिज की, बलात्कार और तस्करी का आरोप

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेवा अधिवक्ता यावर खान की जमानत खारिज की। पीड़िता के बयान और गंभीर आरोपों के आधार पर विस्तृत जांच के आदेश।

Vivek G.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रेवा के अधिवक्ता की जमानत याचिका खारिज की, बलात्कार और तस्करी का आरोप

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर ने 27 सितंबर 2025 को अधिवक्ता यावर खान की जमानत अर्जी खारिज कर दी। खान को इस महीने की शुरुआत में एक महिला से बार-बार बलात्कार करने और उसे मानव तस्करी में धकेलने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। जस्टिस विशाल मिश्रा की बेंच के सामने हुई इस सुनवाई में दोनों पक्षों के बीच तीखी बहस देखने को मिली।

पृष्ठभूमि

मामला वर्ष 2023 का है जब भोपाल के अशोका गार्डन थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। आरोपों में बलात्कार, मानव तस्करी, धोखाधड़ी और आपराधिक साज़िश जैसी धाराएँ शामिल थीं। कहानी ने नया मोड़ तब लिया जब पीड़िता ने ट्रायल कोर्ट में बयान देते हुए खान को पहचान लिया और साफ कहा कि वही उसका शोषण करता था। उसने स्वीकार किया कि पहले उसका नाम इसलिए नहीं लिया क्योंकि उसे पहचान नहीं थी, लेकिन अदालत में किसी अन्य वकील से उसका नाम सुनने पर उसे याद आया।

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वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और शशांक शेखर, जो खान का पक्ष रख रहे थे, ने गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया। उनका कहना था कि पुलिस ने सीधे पीड़िता के अदालत में दिए गए बयान के आधार पर गिरफ्तारी कर ली, जबकि कानून के अनुसार चार्जशीट दाखिल होने के बाद किसी को शामिल करने के लिए अदालत की अनुमति आवश्यक होती है। तन्खा ने दलील दी, “यह गिरफ्तारी कानूनन गलत है; एक बार चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद पुलिस सीधे कार्रवाई नहीं कर सकती।”

अदालत की टिप्पणियाँ

राज्य की ओर से उप महाधिवक्ता बी.डी. सिंह और पीड़िता के वकील ने जमानत का जोरदार विरोध किया। उनका कहना था कि पीड़िता का बयान साफ-साफ है, जिसमें उसने विस्तार से बताया कि कैसे खान ने कई मौकों पर उसका शोषण किया-कभी अपने दफ्तर में, तो कभी एक अन्य सहयोगी के घर पर। अभियोजन ने यह भी सामने रखा कि खान और अन्य आरोपियों ने उसे देह व्यापार में धकेला और बाद में उसकी निजी पहचान उजागर करने की धमकी देकर दबाव डाला।

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राज्य ने अपनी दलीलों को मजबूत करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के कई फैसलों का हवाला दिया, जिनमें स्टेट बनाम हेमेन्द्र रेड्डी (2023) और के. वडिवेल बनाम के. शांति (2024) शामिल थे। इन फैसलों में स्पष्ट किया गया है कि अगर नए तथ्य सामने आते हैं तो चार्जशीट दाखिल होने के बाद भी आगे की जांच कराई जा सकती है।

जस्टिस मिश्रा ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि पीड़िता का सीधा आरोप और मानव तस्करी व धमकी के आरोपों को देखते हुए गहन जांच जरूरी है। अदालत ने टिप्पणी की, “रिकॉर्ड से यह स्पष्ट है कि आवेदक को अदालत में पहचान लिया गया और उस पर कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया गया। ऐसे हालात में विस्तृत जांच आवश्यक है।”

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निर्णय

गंभीर आरोपों और पीड़िता के सीधे बयान को देखते हुए अदालत ने खान की याचिका खारिज कर दी। बेंच ने कहा कि इस स्तर पर जमानत का कोई आधार नहीं बनता। इसके साथ ही खान को फिलहाल न्यायिक हिरासत में ही रहना होगा और जांच आगे जारी रहेगी।

Case Title: Yawar Khan vs State of Madhya Pradesh & Others

Case No.: Misc. Criminal Case No. 43436 of 2025

Date of Order: 27 September 2025

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