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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने यूआईडीएआई को बैंक और मोबाइल रिकॉर्ड के साथ आधार लिंकिंग के माध्यम से लापता महिला का पता लगाने का निर्देश दिया

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने यूआईडीएआई को लापता महिला का पता लगाने के लिए आधार लिंकेज सत्यापित करने का आदेश दिया, साथ ही बैंक और मोबाइल रिकॉर्ड के माध्यम से डिजिटल ट्रैकिंग का निर्देश दिया। - श्री सीताराम बर्मन बनाम मध्य प्रदेश राज्य एवं अन्य

Shivam Y.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने यूआईडीएआई को बैंक और मोबाइल रिकॉर्ड के साथ आधार लिंकिंग के माध्यम से लापता महिला का पता लगाने का निर्देश दिया

जबलपुर, 7 अक्टूबर: एक लापता महिला का पता लगाने के लिए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) को निर्देश दिया है कि वह यह सत्यापित करे कि क्या उस महिला का आधार नंबर किसी बैंक खाते, मोबाइल सिम या ऑनलाइन लेनदेन से जुड़ा है।

मुख्य न्यायाधीश संजय सचदेवा और न्यायमूर्ति द्वारका धीश बंसल की खंडपीठ ने यह आदेश एक हेबियस कॉर्पस याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया, जिसे श्री सीताराम बर्मन ने दायर किया था। उन्होंने अपनी लापता रिश्तेदार को खोजने में मदद की गुहार लगाई थी। यह मामला 7 अक्टूबर 2025 को जबलपुर पीठ में सुना गया।

सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश डॉ. एस.एस. चौहान, सरकारी अधिवक्ता, ने अदालत को बताया कि स्थानीय अधिकारियों ने यह जांचने का प्रयास किया कि क्या महिला के आधार नंबर का हाल ही में किसी बैंक खाते या मोबाइल कनेक्शन से लिंक करने में उपयोग हुआ है। लेकिन आधार सेवा केंद्र, जबलपुर ने ऐसी जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वर्तमान प्रणाली में इस तरह की जांच का कोई प्रावधान नहीं है।

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इस सीमा को देखते हुए, पीठ ने यह टिप्पणी की कि -

“चूंकि आधार प्रत्येक व्यक्ति के लिए अद्वितीय होता है और यह बायोमेट्रिक डेटा से जुड़ा है, इसलिए किसी व्यक्ति के लिए दूसरा आधार कार्ड प्राप्त करना संभव नहीं है। इस प्रकार, आधार से जुड़ी सेवाओं को ट्रैक करने से लापता व्यक्ति का पता लगाने में महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं।”

न्यायालय ने यह भी कहा कि सभी आवश्यक सेवाएं जैसे मोबाइल फोन और बैंकिंग आमतौर पर आधार से लिंक रहती हैं। इसलिए, संबंधित आधार नंबर का हाल का कोई उपयोग जांचकर्ताओं को लापता महिला तक पहुंचने में मदद कर सकता है।

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इसलिए, अदालत ने UIDAI को नोटिस जारी किया, जिसमें निर्देश दिया गया कि वह यह जांच करे कि आधार नंबर 3955 2949 4536 का उपयोग किसी भी ऑनलाइन सेवा जैसे बैंक खाता खोलने, सिम कार्ड जारी करने या अन्य डिजिटल लिंकिंग में किया गया है या नहीं। सत्यापन के बाद प्राप्त जानकारी तुरंत जांच अधिकारी को सौंपी जानी चाहिए ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।

मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर 2025 को निर्धारित की गई है।

इस निर्देश के साथ, हाईकोर्ट ने लापता व्यक्तियों के मामलों में डिजिटल ट्रैकिंग का दायरा बढ़ा दिया है, जिससे आधार की राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ाव क्षमता का उपयोग उन जांच खाइयों को पाटने में किया जा सकेगा, जिन्हें पारंपरिक तरीकों से पूरा करना कठिन होता है।

Case Title: Shri Sitaram Barman vs. The State of Madhya Pradesh & Others

Case Number: W.P. No. 4672 of 2024

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