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सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक HC के मल्टीप्लेक्सों को ऑडिटेबल टिकट रिकॉर्ड रखने के आदेश पर रोक लगाई, ₹200 टिकट मूल्य विवाद जारी

सुप्रीम कोर्ट ने ₹200 टिकट मूल्य विवाद में कर्नाटक HC के ऑडिटेबल टिकट रिकॉर्ड निर्देश पर रोक लगाई। मामला आगे जारी रहेगा।

Vivek G.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक HC के मल्टीप्लेक्सों को ऑडिटेबल टिकट रिकॉर्ड रखने के आदेश पर रोक लगाई, ₹200 टिकट मूल्य विवाद जारी

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक हाई कोर्ट के उस निर्देश पर अस्थायी रोक लगा दी, जिसमें राज्य के मल्टीप्लेक्सों को हर बेचे गए टिकट का ऑडिटेबल रिकॉर्ड रखने को कहा गया था। यह विवाद उस सरकारी आदेश से जुड़ा है, जिसमें फिल्म टिकट का अधिकतम मूल्य ₹200 तय करने की कोशिश की गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सिनेमा जाने के बढ़ते खर्च पर भी स्पष्ट राय व्यक्त की।

पृष्ठभूमि

पिछले महीने, कर्नाटक हाई कोर्ट की एकल-न्यायाधीश पीठ ने ₹200 की टिकट सीमा तय करने वाले सरकारी नियम पर रोक लगा दी थी। हालांकि, राज्य सरकार की अपील पर डिवीजन बेंच ने रोक तो नहीं हटाई, लेकिन कई शर्तें जोड़ दीं।

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इन शर्तों में टिकट खरीदारों का विस्तृत रिकॉर्ड रखना, रोज़ाना की कलेक्शन रजिस्टर को मैनेजर से काउंटरसाइन कराना, और हर महीने रिपोर्ट नियामक अधिकारियों को भेजना शामिल था।

मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया और कई सिनेमा ऑपरेटरों ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि यह व्यवस्था आज के समय में व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि अधिकतर टिकट बुकिंग थर्ड-पार्टी डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे BookMyShow के माध्यम से होती है।

सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा, “जज साहब समझते हैं कि टिकट काउंटर से बिकते हैं। टिकट तो ऑनलाइन बिकते हैं। हम आईडी नहीं रखते। कोई फिल्म देखने के लिए आईडी लेकर नहीं आता।”

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कोर्ट की टिप्पणियाँ

दिलचस्प रूप से, स्वयं बेंच ने सिनेमा टिकटों की बढ़ती कीमतों पर चिंता जताई। जस्टिस विक्रम नाथ ने सुनवाई के दौरान कहा, “आप ₹700 का टिकट, ₹100 की पानी की बोतल… ये तय होना चाहिए। वैसे भी सिनेमा गिर रहा है। इसे उचित रखिए ताकि लोग आ सकें और आनंद ले सकें।”

रोहतगी ने कहा कि दर्शकों के पास कम कीमत वाले थिएटर चुनने का विकल्प है। इस पर जस्टिस नाथ ने सीधे कहा, “अब सामान्य वाले बचे ही कहाँ हैं?”

सीनियर एडवोकेट श्याम दिवान ने भी तर्क दिया कि राज्य के पास कीमत निर्धारित करने की कानूनी शक्ति ही नहीं है। वहीं, राज्य पक्ष के वकील ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश केवल एक अस्थायी सुरक्षा-उपाय है:
“अगर अंत में राज्य जीतता है, तो जो अतिरिक्त पैसा दर्शकों ने दिया है, उसे वापस किया जा सकेगा। बस इतना ही।”

सुनवाई के दौरान माहौल कुछ ऐसा था जैसे किसी सार्वजनिक चर्चा में फिल्म टिकटों पर बहस चल रही हो-हर कोई जानता है कि दाम ज़्यादा हैं, लेकिन यह तय नहीं कि इसका समाधान किसके हाथ में है।

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निर्णय

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कर्नाटक हाई कोर्ट के ऑडिटेबल रिकॉर्ड रखने संबंधी निर्देशों पर फिलहाल रोक लगा दी, यह कहते हुए कि इस मामले पर विस्तृत विचार की आवश्यकता है।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि टिकट मूल्य सीमा की वैधता को लेकर हाई कोर्ट की एकल-बेंच सुनवाई जारी रख सकती है।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश यहीं समाप्त होता है, और ₹200 टिकट सीमा पर अंतिम निर्णय अभी बाकी है।

Case Title: Multiplex Association of India vs Karnataka State – Ticket Price Cap & Record Maintenance Dispute

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Official judgment document (PDF)
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