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समीर वानखेड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा, नेटफ्लिक्स सीरीज़ 'बास्टर्ड्स ऑफ़ बॉलीवुड' आर्यन खान की गिरफ़्तारी का बदला लेने की कोशिश है

आईआरएस अधिकारी समीर वानखेड़े ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि नेटफ्लिक्स की 'बास्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड' ने आर्यन खान की गिरफ्तारी के लिए उन्हें निशाना बनाया है; अदालत 10 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगी। - समीर ज्ञानदेव वानखेड़े बनाम रेड चिलीज एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड और अन्य

Shivam Y.
समीर वानखेड़े ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा, नेटफ्लिक्स सीरीज़ 'बास्टर्ड्स ऑफ़ बॉलीवुड' आर्यन खान की गिरफ़्तारी का बदला लेने की कोशिश है

भारतीय राजस्व सेवा (IRS) अधिकारी समीर वानखेडे ने दिल्ली उच्च न्यायालय में आरोप लगाया है कि नेटफ्लिक्स और शाहरुख खान की कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट ने उनकी छवि खराब करने और 2021 में आर्यन खान की गिरफ्तारी का “सिनेमा के ज़रिए बदला” लेने के लिए ‘बास्टर्ड्स ऑफ बॉलीवुड’ नामक सीरीज़ बनाई है।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पुरुषेन्द्र कुमार कौरव की पीठ ने गुरुवार को की, और इसे 10 नवंबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

पृष्ठभूमि

वानखेडे उस समय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अधिकारी थे, जिन्होंने क्रूज़ ड्रग्स केस में आर्यन खान की गिरफ्तारी की थी। यह मामला पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था। बाद में, एनसीबी की विशेष जांच टीम ने आर्यन को क्लीन चिट दी, यह कहते हुए कि सबूत पर्याप्त नहीं थे।

अब वानखेडे का कहना है कि यह नई नेटफ्लिक्स सीरीज़ उनकी पेशेवर प्रतिष्ठा “नष्ट करने और अपमानित करने” के इरादे से बनाई गई है। उन्होंने 2 करोड़ रुपये के हर्जाने की मांग की है और कहा है कि यह राशि टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल को दान की जाएगी।

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इस मामले में प्रतिवादी के रूप में रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट, नेटफ्लिक्स, एक्स (पूर्व में ट्विटर), गूगल, मेटा, और आरपीजी लाइफस्टाइल मीडिया को शामिल किया गया है।

अदालत की कार्यवाही और टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान वानखेडे के वकील ने दलील दी कि सीरीज़ के निर्माता “व्यंग्य के नाम पर बदनामी” फैला रहे हैं और कानून प्रवर्तन की गंभीरता को मनोरंजन बना दिया गया है।

वानखेडे ने अपने जवाब में कहा, “यह मानहानिकारक कंटेंट आर्यन खान की गिरफ्तारी का बदला लेने के लिए रचा गया है। यह कोई कला नहीं, बल्कि सोची-समझी साजिश है।”

रेड चिलीज़ ने जवाब में कहा कि यह सीरीज़ “एक व्यंग्यात्मक रचना” है, जिसमें किसी का नाम या पहचान सीधे नहीं दी गई। कंपनी ने कहा कि वानखेडे पहले से ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय रहे हैं।

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इस पर वानखेडे ने कहा कि यही तर्क कंपनी की “दुर्भावना को उजागर करता है”, क्योंकि यह दर्शाता है कि वे पहले से चल रही आलोचना में और आग लगाने निकले हैं। उन्होंने कहा,

“सार्वजनिक सेवा कोई मंचन नहीं है, यह सम्मान की मांग करती है, उपहास की नहीं।”

अदालत का निर्णय

दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति कौरव ने सभी से लिखित तर्क दाखिल करने को कहा और अगली सुनवाई की तारीख 10 नवंबर तय की।

यह मामला अब रचनात्मक स्वतंत्रता और मानहानि के बीच की पतली रेखा को लेकर देशभर में बहस का केंद्र बन गया है।

Case Title: Sameer Dnyandev Wankhede v. Red Chillies Entertainment Pvt. Ltd. & Ors

Date of Hearing: October 30, 2025

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