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सर्वोच्च न्यायालय ने भविष्य की संभावनाओं और घातक दुर्घटना मामले में उचित कंसोर्टियम का हवाला देते हुए मृतक मोटरसाइकिल चालक के परिवार के लिए मुआवज़ा बढ़ाया

सर्वोच्च न्यायालय ने मोटरसाइकिल चालक के परिवार के लिए मुआवज़ा बढ़ाया, आय आकलन और कंसोर्टियम राशि में सुधार किया। निर्णय में घातक दुर्घटना दावों में उचित राहत पर ज़ोर दिया गया है। - रानी @ राजकुमारी एवं अन्य बनाम कमलाकात गुप्ता एवं अन्य

Vivek G.
सर्वोच्च न्यायालय ने भविष्य की संभावनाओं और घातक दुर्घटना मामले में उचित कंसोर्टियम का हवाला देते हुए मृतक मोटरसाइकिल चालक के परिवार के लिए मुआवज़ा बढ़ाया

एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सड़क हादसे में मृत मोटरसाइकिल सवार के परिवार को न्याय दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मुआवज़ा राशि में बड़ी बढ़ोतरी की है। यह मामला 33 वर्षीय युवक सोबरन सिंह की मृत्यु से संबंधित था, जिनकी एक लापरवाह तरीके से चलाई गई जीप से टक्कर होने के बाद मौत हो गई थी। यह फैसला 5 दिसंबर 2025 को न्यायमूर्ति एन.वी. अंजारिया की पीठ ने सुनाया।

Background

सोबरन सिंह शाम करीब 7 बजे झांसी से अपने घर लौट रहे थे जब भोजला गांव के पास एक जीप ने उनकी मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। उन्हें सिर और पैर में गंभीर चोटें आईं, और इलाज के दौरान आठ दिन बाद ग्वालियर अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई।

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उनकी पत्नी, तीन नाबालिग बेटियों, एक नाबालिग बेटे और वृद्ध माता-पिता ने ₹26,10,000 की क्षतिपूर्ति का दावा किया था।

मोटर दुर्घटना दावा ट्रिब्यूनल ने पहले सिर्फ ₹7,28,500 (6% ब्याज सहित) दिए। फिर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे बढ़ाकर ₹9,20,500 (7% ब्याज सहित) किया। लेकिन परिवार ने कहा कि यह भी पर्याप्त नहीं है और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।

Court’s Observations

न्यायालय ने प्रमाणपत्रों और भूमि-संबंधी रिकॉर्ड के आधार पर आय का निर्धारण किया। कोर्ट को संतोष हुआ कि सोबरन को स्टोन क्रशर की नौकरी से ₹6,000 मासिक मिलते थे तथा खेती से भी कुछ आमदनी थी।

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पीठ ने कहा-

"यह उम्मीद करना सामान्य है कि इस स्टोन क्रशर इकाई में कार्यरत व्यक्ति 6,000 रुपये प्रति माह कमाएगा।"

खेती से कमाई को मानते हुए अदालत ने ₹2,000 मासिक की अतिरिक्त आय जोड़ दी।

न्यायालय ने दो मुख्य त्रुटियाँ सुधारीं -

  • व्यक्तिगत खर्च की गलत कटौती सात आश्रित होने पर 1/5 की कटौती होनी चाहिए थी, न कि 1/4 की
  • गलत गुणक (Multiplier) और भविष्य की आय का न जोड़ना प्रणय सेठी केस के अनुसार 16 का गुणक और 40% भविष्य आय वृद्धि अनिवार्य

पीठ ने मुआवज़ा में consortium (पारिवारिक स्नेह की क्षति) को भी बेहद कम मानने पर असंतोष जताया।

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कोर्ट ने टिप्पणी की-

“कंसोर्टियम के मद में उचित राशि की आवश्यकता है।”

Decision

अंततः सुप्रीम कोर्ट ने कुल उचित मुआवज़ा ₹20,55,320 तय किया और हाईकोर्ट के ऊपर से ₹11,34,820 अतिरिक्त देने का आदेश दिया, जिस पर दावा दायर करने की तारीख से 7% ब्याज मिलेगा।

बीमा कंपनी को 8 हफ्तों के भीतर यह राशि जमा करानी होगी।
राशि वितरण पहले की तरह ही होगा -

  • 75% पत्नी और बच्चों को
  • 25% माता-पिता को

और सभी 7 दावेदारों को ₹40,000-40,000 का consortium सीधे उनके बैंक खातों में भेजा जाएगा (सत्यापन के बाद)।

Case Title:- Rani @ Raj Kumari & Others vs. Kamlakat Gupta & Others

Case Number: Civil Appeal No. 5224 of 2024

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Official judgment document (PDF)
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