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दिल्ली हाई कोर्ट ने वेबसाइट्स को रोका, कहा- अक्किनेनी नागार्जुन का नाम अश्लील सामग्री में इस्तेमाल न हो

दिल्ली हाई कोर्ट ने अभिनेता अक्किनेनी नागार्जुन के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की, पोर्न साइट्स को उनका नाम हटाने और सामग्री ब्लॉक करने का आदेश।

Vivek G.
दिल्ली हाई कोर्ट ने वेबसाइट्स को रोका, कहा- अक्किनेनी नागार्जुन का नाम अश्लील सामग्री में इस्तेमाल न हो

तेलुगु सिनेमा के दिग्गज अभिनेता अक्किनेनी नागार्जुन की गरिमा की रक्षा के लिए दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार (25 सितंबर) को कई वेबसाइट्स को उनके नाम और तस्वीर का अश्लील सामग्री में इस्तेमाल करने से रोक दिया। यह आदेश अभिनेता की उस याचिका पर आया जिसमें उन्होंने बिना अनुमति उनके व्यक्तित्व का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाया था।

पृष्ठभूमि

95 से अधिक फिल्मों में काम कर चुके नागार्जुन ने दलील दी कि कुछ पोर्नोग्राफिक वेबसाइट्स दर्शकों को आकर्षित करने के लिए उनके नाम का इस्तेमाल कर रही हैं। उनके वकील श्री प्रवीन आनंद ने अदालत को बताया कि अभिनेता ने चार दशकों में अपार प्रतिष्ठा अर्जित की है और इस तरह का दुरुपयोग “उनकी साख को कमजोर करता है, जनता को भ्रमित करता है और अपूरणीय क्षति पहुँचाता है।”

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याचिका में यह भी कहा गया कि ऑनलाइन विक्रेता बिना अनुमति उनके नाम और फोटो वाले टी-शर्ट और अन्य सामान बेच रहे हैं। अदालत को यह जानकारी दी गई कि डोमेन ऑपरेटरों को कानूनी नोटिस भेजने के बावजूद कोई जवाब नहीं मिला, जिसके बाद अभिनेता ने तात्कालिक राहत के लिए न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया।

अदालत की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति तेजस कारिया ने माना कि किसी सेलिब्रिटी की पहचान का दुरुपयोग, खासकर “अपमानजनक और अनुचित संदर्भों” में, न केवल उनके आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचाता है बल्कि उनकी गरिमा के साथ जीने के अधिकार को भी खतरे में डालता है।

पीठ ने टिप्पणी की, “प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि वादी के व्यक्तित्व के गुण, जिसमें उनका नाम और तस्वीरें शामिल हैं, का दुरुपयोग किया जा रहा है… वादी को गुमराह करने वाले और अनुचित परिदृश्यों में दर्शाना अनिवार्य रूप से उनकी साख और प्रतिष्ठा को कमजोर करेगा।”

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अदालत ने पहले दिए गए उन फैसलों का भी हवाला दिया, जिनमें अमिताभ बच्चन और ऐश्वर्या राय बच्चन को उनकी व्यक्तित्व पहचान के दुरुपयोग से बचाया गया था, जिसमें एआई द्वारा बनाए गए कंटेंट भी शामिल थे।

फैसला

अंतरिम आदेश जारी करते हुए हाई कोर्ट ने प्रतिवादियों-जिनमें पोर्न वेबसाइट्स, डोमेन रजिस्ट्रार और मर्चेंडाइज विक्रेता शामिल हैं-को नागार्जुन के नाम, तस्वीर या छवि का किसी भी रूप में शोषण करने से रोक दिया।

72 घंटों के भीतर वेबसाइट्स को विवादित सामग्री हटाने का निर्देश दिया गया है। मर्चेंडाइज बेचने वालों को भी उनके नाम वाले उत्पादों को बंद करने और जिम्मेदार लोगों का विवरण साझा करने का आदेश दिया गया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा दूरसंचार विभाग जैसी सरकारी एजेंसियों को सात दिनों के भीतर चिन्हित यूआरएल को ब्लॉक करने का निर्देश दिया गया है।

यह मामला अब 23 जनवरी 2026 को फिर से सुना जाएगा। तब तक के लिए यह संरक्षण आदेश प्रभावी रहेगा।

Case: Akkineni Nagarjuna v. www.bfxxx.org & Ors.

Date of Order: 25 September 2025

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