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सुप्रीम कोर्ट ने समयसीमा पार करने पर मुकदमा छोड़ने वाले ट्रायल जज को फटकार लगाई, जिला जज से स्पष्टीकरण मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने अलीपुर ट्रायल जज को समयसीमा पार होने पर केस रोकने पर फटकार लगाई, जिला जज से एक महीने में स्पष्टीकरण मांगा।

Vivek G.
सुप्रीम कोर्ट ने समयसीमा पार करने पर मुकदमा छोड़ने वाले ट्रायल जज को फटकार लगाई, जिला जज से स्पष्टीकरण मांगा

नई दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम नंबर 5 में गूंजते कड़े शब्दों में, पश्चिम बंगाल के एक ट्रायल जज को फटकार लगाई गई। कारण यह था कि उन्होंने सिर्फ इसलिए केस आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया क्योंकि शीर्ष अदालत द्वारा तय की गई समयसीमा निकल चुकी थी।

पृष्ठभूमि

मामला आपराधिक अपील शिव कुमार शॉ एवं अन्य बनाम रेखा शॉ से जुड़ा है। जनवरी 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने अलीपुर, दक्षिण 24 परगना की चौथी अदालत के न्यायिक मजिस्ट्रेट को आदेश दिया था कि वह केस नंबर AC-2053/2017 को छह हफ्तों में निपटाएं। लेकिन तय समय बीतने के बाद न तो जज ने समय बढ़ाने की मांग की और न ही सुनवाई पूरी की। इसके बजाय, 19 मार्च 2024 को उन्होंने आदेश पास कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट की तय समयसीमा खत्म होने के कारण अब उनका “अधिकार क्षेत्र खत्म हो गया” है।

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अदालत की टिप्पणियाँ

शीर्ष अदालत ने इस रवैये पर कड़ी नाराज़गी जताई। जस्टिस सुंदरेश ने फैसले के दौरान कहा, “हमें इस तरह का आदेश पारित किए जाने पर दुख है। अगर किसी कारणवश वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय समय में फैसला नहीं दे पाए, तो उचित कदम समय बढ़ाने का अनुरोध करना था, न कि यह कहना कि उनका अधिकार क्षेत्र खत्म हो गया है।”

जस्टिस भट्टी ने जोड़ा कि ऐसी सोच “न्यायिक जिम्मेदारी की बुनियाद को चुनौती देती है,” और कहा कि ट्रायल कोर्ट तब तक अधिकार नहीं छोड़ सकता जब तक कानून स्पष्ट रूप से ऐसा न कहे। पीठ ने निचली अदालत की इस दलील को “असामान्य” और न्याय के इंतज़ार में बैठे पक्षकारों के लिए “हानिकारक” बताया।

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निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने अब दक्षिण 24 परगना के जिला जज को निर्देश दिया है कि संबंधित मजिस्ट्रेट से लिखित स्पष्टीकरण लेकर एक महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करें। आदेश में दर्ज है, “उन्हें बताना होगा कि किन परिस्थितियों में उन्होंने यह कहा कि उनका अधिकार क्षेत्र खत्म हो गया है।”

इस निर्देश के साथ शीर्ष अदालत ने साफ किया कि ऊपरी अदालत द्वारा तय की गई समयसीमा न्याय में तेजी लाने के लिए होती है, न कि ट्रायल जज को लंबित मामले से हाथ खींचने का बहाना देने के लिए। जिला जज की रिपोर्ट आने के बाद ही आगे की कार्रवाई होगी।

Case Title: Shiv Kumar Shaw & Anr. vs. Rekha Shaw

Date of SC Order: September 2025

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Official judgment document (PDF)
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