श्रीनगर में वर्चुअल सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने एक गंभीर आपराधिक मामले में अहम फैसला सुनाया। अदालत ने हत्या के आरोप में जेल में बंद तीन महिलाओं को जमानत दे दी और कहा कि निचली अदालत ने जमानत पर विचार करते समय कानून में महिलाओं के लिए दिए गए विशेष प्रावधान को नजरअंदाज किया।
यह फैसला 29 दिसंबर 2025 को न्यायमूर्ति राहुल भारती ने सुनाया।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला जुलाई 2023 का है, जब अनंतनाग जिले के लारनू इलाके में जमीन और पशु चराने की जगह (बेहाक) को लेकर विवाद हुआ। शिकायत के अनुसार, रात के समय एक ही गांव के कई लोग कथित रूप से घर में घुस आए और मारपीट की।
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इस हमले में अली मोहम्मद डार गंभीर रूप से घायल हो गए। इलाज के दौरान 31 जुलाई 2023 को उनकी मौत हो गई, जिसके बाद एफआईआर में हत्या की धारा 302 भी जोड़ दी गई। कुल 14 लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें तीन महिलाएं भी शामिल थीं।
तीनों महिला आरोपियों - सलीमा, रेशमा और रुबीना - को बाद में गिरफ्तार किया गया और वे लंबे समय से न्यायिक हिरासत में थीं। उन्होंने अनंतनाग की सेशंस कोर्ट में जमानत मांगी, लेकिन नवंबर 2024 में उनकी अर्जियां खारिज कर दी गईं।
सेशंस कोर्ट का कहना था कि मामला अभी उस चरण में नहीं पहुंचा है जहां जमानत दी जा सके। अदालत ने यह भी टिप्पणी कर दी कि अब तक आए साक्ष्य आरोपियों को दोषमुक्त नहीं करते।
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हाईकोर्ट की अहम टिप्पणियां
हाईकोर्ट ने इस रुख पर सवाल उठाते हुए साफ कहा कि ट्रायल कोर्ट ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 437(1) के उस प्रावधान पर ध्यान नहीं दिया, जो महिलाओं को जमानत के मामले में विशेष रूप से राहत देने की गुंजाइश देता है।
अदालत ने कहा,
“महिलाओं को एक अलग वर्ग के रूप में मान्यता दी गई है और जमानत पर विचार करते समय इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।”
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि एफआईआर और चार्जशीट में महिला आरोपियों की भूमिका को लेकर कोई स्पष्ट और अलग-अलग आरोप नहीं लगाए गए थे। आरोप सामान्य और सामूहिक थे।
हाईकोर्ट ने मामले के मानवीय पक्ष पर भी ध्यान दिया। याचिका में बताया गया कि एक आरोपी महिला के पास दूध पीता बच्चा है, जबकि अन्य के छोटे-छोटे बच्चे हैं। एक महिला के बेटे की मौत भी उसके जेल में रहने के दौरान हो गई थी, जहां वह अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो सकी।
कोर्ट ने कहा कि जमानत पर विचार करते समय इन परिस्थितियों को पूरी तरह अनदेखा नहीं किया जा सकता।
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अदालत का फैसला
इन सभी पहलुओं को देखते हुए हाईकोर्ट ने तीनों महिलाओं को ट्रायल के दौरान जमानत देने का आदेश दिया। अदालत ने निर्देश दिया कि प्रत्येक आरोपी 50,000 रुपये का निजी मुचलका और जमानतदार पेश करेगी।
साथ ही शर्त रखी गई कि वे बिना अनुमति जम्मू-कश्मीर से बाहर नहीं जाएंगी और न ही गवाहों को प्रभावित करने की कोई कोशिश करेंगी।
इसी के साथ जमानत याचिका का निपटारा कर दिया गया।
Case Title: Saleema & Ors vs UT of J&K
Case No.: Bail App No. 145/2024
Case Type: Bail Application (Murder Case)
Decision Date: 29 December 2025










