सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में गुजरात से जुड़े एक भूमि विवाद से संबंधित आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद मामला किसी फैसले पर नहीं, बल्कि प्रक्रिया को दोबारा सही दिशा में ले जाने के साथ समाप्त हुआ।
पृष्ठभूमि
यह याचिका प्रध्युमनसिंह प्रविनसिंह राठौड़ द्वारा गुजरात राज्य के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें दो अलग-अलग राहतें एक साथ मांगी गई थीं। पहली राहत गुजरात भूमि कब्जा (निषेध) अधिनियम, 2020 की वैधता को चुनौती देने से जुड़ी थी। दूसरी राहत एफआईआर को रद्द करने और अग्रिम गिरफ्तारी से संरक्षण देने की मांग थी।
सुनवाई के दौरान पीठ ने इस बात पर असहजता जताई कि दोनों मुद्दों को एक ही याचिका में जोड़ा गया है।
न्यायालय की टिप्पणियां
इस पर अवकाशकालीन पीठ ने रिकॉर्ड पर दर्ज किया कि “दो राहतों को एक ही रिट याचिका में आपस में नहीं जोड़ा जा सकता।” इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने निर्देश मिलने पर याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।
साथ ही, अदालत ने गिरफ्तारी की तत्काल आशंका को भी ध्यान में रखा। याचिकाकर्ता को संबंधित निचली अदालत का रुख करने का अवसर देने के लिए अंतरिम संरक्षण जरूरी माना गया। पीठ ने स्पष्ट किया कि वह एफआईआर या जमानत के मुद्दे पर कोई राय व्यक्त नहीं कर रही है।
निर्णय
रिट याचिका को वापस लेने की अनुमति के साथ खारिज कर दिया गया, साथ ही यह स्वतंत्रता दी गई कि गुजरात भूमि कब्जा अधिनियम की वैधता तक सीमित एक नई याचिका दायर की जा सकती है।
याचिकाकर्ता को दो सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण दिया गया है, ताकि वह संबंधित क्षेत्राधिकारवाली अदालत में एफआईआर और जमानत से जुड़ी राहत के लिए आवेदन कर सके। इन मुद्दों पर निर्णय संबंधित अदालत अपने स्तर पर करेगी।
Case Title: Pradhyumansinh Pravinsinh Rathod v. State of Gujarat & Others
Case Number: WP (Crl) No. 531 of 2025
Date of Order: 22 December 2025










