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कर्नाटक सरकार की आपराधिक अपील सुप्रीम कोर्ट पहुँची, लंबी और भीड़भाड़ वाली सुनवाई के बाद न्यायाधीशों ने आदेश सुरक्षित रखा

कर्नाटक राज्य और अन्य बनाम प्रथिक परसरामपुरिया कर्नाटक राज्य, सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार की आपराधिक अपील पर लंबी सुनवाई की, कई राज्यों की दलीलें सुनीं और आदेश सुरक्षित रखा।

Vivek G.
कर्नाटक सरकार की आपराधिक अपील सुप्रीम कोर्ट पहुँची, लंबी और भीड़भाड़ वाली सुनवाई के बाद न्यायाधीशों ने आदेश सुरक्षित रखा

जब सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक राज्य द्वारा दायर एक लंबे समय से लंबित आपराधिक अपील की सुनवाई शुरू की, तो अदालत कक्ष असामान्य रूप से भरा हुआ नजर आया। देशभर से आए वकीलों ने बेंच के सामने की सीटें भर दीं, कुछ को गलियारों में खड़ा रहना पड़ा। सभी पक्षों को विस्तार से सुनने के बाद, पीठ ने तत्काल कोई फैसला सुनाने के बजाय मामले को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया।

यह मामला ऊपर से भले ही प्रक्रिया से जुड़ा लगे, लेकिन इसमें उठे सवालों और कई राज्यों की भागीदारी के कारण इस पर व्यापक ध्यान गया है।

पृष्ठभूमि

सुप्रीम कोर्ट के समक्ष यह अपील वर्ष 2015 में कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ सर्किट बेंच के एक आदेश से जुड़ी है। कर्नाटक राज्य और एक अन्य याचिकाकर्ता ने उस आदेश को चुनौती देते हुए एक आपराधिक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की थी।

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समय के साथ इस मामले का दायरा बढ़ता गया। कई राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और संवैधानिक संस्थाओं ने इसमें पक्षकार के रूप में या अदालत की सहायता के लिए उपस्थिति दर्ज कराई। वरिष्ठ अधिवक्ताओं और सरकारी कानून अधिकारियों की भारी मौजूदगी इस बात का संकेत थी कि यह मामला केवल कर्नाटक तक सीमित नहीं है।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति नोंगमेइकापम कोटिस्वर सिंह की पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को धैर्यपूर्वक सुना। बहस के दौरान हाईकोर्ट के आदेश से जुड़े तथ्यों से लेकर आपराधिक प्रक्रिया के व्यापक सवालों तक चर्चा हुई।

एक मौके पर पीठ ने स्पष्ट किया कि वह दोहराव के बजाय स्पष्टता चाहती है। अदालत ने टिप्पणी की, “हमने आपको विस्तार से सुना है,” जब बहस काफी देर तक चली। वरिष्ठ वकीलों ने न्यायाधीशों द्वारा उठाई गई शंकाओं का जवाब देने के लिए आगे बढ़कर दलीलें रखीं।

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महत्वपूर्ण यह रहा कि सुनवाई के दौरान अदालत ने कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया, जिससे यह संकेत मिला कि वह पूरे मामले पर गहन विचार के बाद ही निष्कर्ष पर पहुँचना चाहती है।

निर्णय

सभी पक्षों के वरिष्ठ अधिवक्ताओं और वकीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने औपचारिक रूप से मामले को निर्णय के लिए सुरक्षित रख लिया। संक्षिप्त आदेश में दर्ज किया गया कि सुनवाई पूरी हो चुकी है और अदालत बाद में अपना फैसला सुनाएगी।

Case Title: The State of Karnataka & Anr. vs. Prathik Parasrampuria The State of Karnataka

Case No.: Special Leave Petition (Criminal) No. 3549 of 2016

Case Type: Criminal Appeal (Special Leave Petition)

Decision Date: Order Reserved on 19 December 2025

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Official judgment document (PDF)
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