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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 'हक़' फिल्म पर रोक की मांग, शाह बानो की बेटी ने मां की पहचान के बिना अनुमति उपयोग का लगाया आरोप

शाह बानो की बेटी ने फिल्म हक़ की रिलीज़ रोकने के लिए MP हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत डिस्क्लेमर देखने के बाद निर्णय करेगी।

Vivek G.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में 'हक़' फिल्म पर रोक की मांग, शाह बानो की बेटी ने मां की पहचान के बिना अनुमति उपयोग का लगाया आरोप

सोमवार को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान, दिवंगत शाह बानो बेगम की बेटी सिद्दीका बेगम खान द्वारा दायर की गई याचिका ने कला की स्वतंत्रता और व्यक्तिगत विरासत को लेकर बहस छेड़ दी। यह याचिका यामी गौतम धर और इमरान हाशमी अभिनीत फिल्म हक़ की 7 नवंबर को होने वाली रिलीज़ को चुनौती देती है।

पृष्ठभूमि

फिल्म को 1985 के उस सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले से प्रेरित बताया गया है, जिसमें मोहम्मद अहमद खान बनाम शाह बानो बेगम केस में अदालत ने फैसला दिया था कि तलाक के बाद भी मुस्लिम महिला को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत भरण-पोषण पाने का अधिकार है। यह फैसला महिलाओं के अधिकारों, समान कानून और व्यक्तिगत कानूनों पर बहस का केंद्र बन गया था।

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लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता तौसीफ वारसी ने दलील दी कि फिल्म सिर्फ फैसले का संदर्भ नहीं लेती, बल्कि शाह बानो के निजी जीवन के क्षणों को भी दिखाती है-बिना परिवार की अनुमति के।

“पूरी फिल्म दिवंगत शाह बानो बेगम के निजी जीवन को दर्शाती है… और जैविक बेटियों से कोई लिखित सहमति नहीं ली गई,” वारसी ने कहा।

उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म का ट्रेलर “अपमानजनक” दृश्य प्रस्तुत करता है जो वास्तविकता से मेल नहीं खाता।

अदालत की टिप्पणियाँ

न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा ने दोनों पक्षों को ध्यान से सुना। जब निर्माताओं ने कहा कि फिल्म “न्यायिक फैसले और उपलब्ध साहित्य” पर आधारित है और यह कोई जीवनी नहीं है, तो अदालत ने कहा, “अगर उन्होंने संघर्ष किया, तो क्या यह उनके लिए श्रेय नहीं होगा? क्यों इसे अपमान के रूप में देखा जाए?”

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इस पर वारसी ने स्पष्ट किया कि मुद्दा संघर्ष दिखाने का नहीं, बल्कि पहचान का बिना अनुमति प्रयोग है। उन्होंने पूछा, “उनके नाम या जीवन के क्षणों को दिखाने से पहले लिखित सहमति लेने में समस्या क्या थी?”

सीबीएफसी की ओर से पेश वकील ने कहा कि बोर्ड ने फिल्म को इसलिए प्रमाणित किया क्योंकि फिल्म को कल्पना आधारित बताया गया है और इसे बायोपिक के रूप में प्रचारित नहीं किया गया। “जो चीज़ कल्पना पर आधारित हो, उसके लिए अनुमति की जरूरत नहीं होती। टीज़र में स्पष्ट है कि यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रेरित है,” सीबीएफसी वकील ने कहा।

इसी दौरान निर्माता जंगली पिक्चर्स की ओर से वकील ने बताया कि फिल्म की शुरुआत एक डिस्क्लेमर से होती है और यह आधिकारिक रूप से पुस्तक भारत की बेटी तथा सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है। हालांकि अदालत ने कहा कि यह डिस्क्लेमर रिकॉर्ड पर नहीं है और इसे अगली सुनवाई में प्रस्तुत किया जाए।

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निर्णय

अदालत ने मामले को मंगलवार के लिए स्थगित कर दिया है, ताकि डिस्क्लेमर प्रस्तुत किया जा सके और आगे की दलीलें सुनी जा सकें। इसके बाद ही यह तय होगा कि फिल्म निर्धारित तारीख पर रिलीज़ हो पाएगी या नहीं।

Case Title: Siddiqua Begum Khan vs. Union of India & Others (MP High Court, 2025)

Petitioner: Siddiqua Begum Khan, daughter of late Shah Bano Begum.

Respondents: Union of India, CBFC, and producers of the film Haq.

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