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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा संदेश: मेरिट पर खरे उम्मीदवारों को सिर्फ जाति के कारण नहीं रोका जा सकता

राजस्थान उच्च न्यायालय एवं अन्य. बनाम रजत यादव और अन्य। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामान्य कट-ऑफ से ऊपर अंक लाने वाले आरक्षित उम्मीदवारों को ओपन कैटेगरी में मौका मिलना चाहिए।

Vivek G.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा संदेश: मेरिट पर खरे उम्मीदवारों को सिर्फ जाति के कारण नहीं रोका जा सकता

सुप्रीम कोर्ट की अदालत में माहौल गंभीर था। मुद्दा छोटा नहीं था-राजस्थान की अदालतों में भर्ती की प्रक्रिया और उस प्रक्रिया में मेरिट की जगह। कई अभ्यर्थी, जो लिखित परीक्षा में बेहतर अंक लाए थे, सिर्फ इसलिए बाहर कर दिए गए क्योंकि वे आरक्षित वर्ग से थे।

जस्टिस दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस सवाल को सीधे तौर पर देखा: क्या कोई उम्मीदवार, जो सामान्य वर्ग के कट-ऑफ से ज्यादा अंक लाता है, फिर भी ओपन कैटेगरी में नहीं आ सकता? सुनवाई के दौरान अदालत का रुख साफ दिख रहा था।

मामले की पृष्ठभूमि

अगस्त 2022 में राजस्थान हाई कोर्ट ने जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट और क्लर्क ग्रेड-II के करीब 2,756 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। चयन प्रक्रिया दो चरणों में होनी थी-पहले लिखित परीक्षा और फिर कंप्यूटर आधारित टाइपिंग टेस्ट।

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नियम के अनुसार, टाइपिंग टेस्ट के लिए उम्मीदवारों को श्रेणी-वार, रिक्तियों के पाँच गुना तक शॉर्टलिस्ट किया जाना था। मई 2023 में लिखित परीक्षा का परिणाम आया। यहीं से विवाद शुरू हुआ।

कई अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ओबीसी और ईडब्ल्यूएस वर्ग के उम्मीदवारों ने सामान्य वर्ग के कट-ऑफ से अधिक अंक प्राप्त किए थे। इसके बावजूद, उन्हें टाइपिंग टेस्ट के लिए नहीं बुलाया गया। वजह यह बताई गई कि वे अपनी आरक्षित श्रेणी के कट-ऑफ तक नहीं पहुँच पाए।

इससे नाराज़ होकर अभ्यर्थियों ने राजस्थान हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया। हाई कोर्ट ने माना कि ओपन कैटेगरी को गलत तरीके से सिर्फ सामान्य वर्ग तक सीमित कर दिया गया और सूची को दोबारा तैयार करने का आदेश दिया। इसके खिलाफ हाई कोर्ट प्रशासन सुप्रीम कोर्ट पहुँचा।

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अदालत की टिप्पणियाँ

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सिर्फ तकनीकी नियमों तक सीमित नहीं रखा। पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 16-बराबरी और समान अवसर-को केंद्र में रखा।

अदालत ने कहा,
“ओपन या जनरल कैटेगरी कोई आरक्षित कोटा नहीं है। यह मेरिट के आधार पर सभी के लिए खुली होती है।”

पीठ ने इस दलील को भी खारिज कर दिया कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को ओपन कैटेगरी में लेने से उन्हें “दोहरा लाभ” मिल जाएगा। अदालत ने साफ कहा कि जो उम्मीदवार बिना किसी छूट या रियायत के मेरिट पर आगे आता है, वह आरक्षण का लाभ ले ही नहीं रहा।

जजों ने यह भी नोट किया कि कई आरक्षित वर्गों के कट-ऑफ सामान्य वर्ग से ज्यादा थे, जो यह दिखाता है कि शॉर्टलिस्टिंग में मेरिट की अनदेखी हुई।

एक और अहम बात पर अदालत ने ध्यान दिया-सिर्फ परीक्षा प्रक्रिया में हिस्सा लेने से कोई उम्मीदवार असंवैधानिक प्रक्रिया को चुनौती देने से रोका नहीं जा सकता, खासकर जब गड़बड़ी परिणाम आने के बाद सामने आए।

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निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा और हाई कोर्ट प्रशासन की अपीलें खारिज कर दीं।

अदालत ने निर्देश दिया कि:

  • पहले ओपन/जनरल कैटेगरी की सूची पूरी तरह मेरिट के आधार पर बनेगी।
  • आरक्षित वर्ग के वे उम्मीदवार, जिन्होंने बिना किसी रियायत के सामान्य कट-ऑफ से अधिक अंक पाए हैं, उन्हें उसी सूची में शामिल किया जाएगा।
  • इसके बाद ही अलग-अलग आरक्षित श्रेणियों की सूचियाँ तैयार होंगी।
  • जिन उम्मीदवारों को गलत तरीके से बाहर किया गया था, उन्हें टाइपिंग टेस्ट का अवसर दिया जाएगा और पूरी मेरिट सूची दोबारा बनाई जाएगी।

इसी के साथ, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि सरकारी भर्ती में मेरिट को जाति की दीवारों के पीछे नहीं धकेला जा सकता

Case Title: Rajasthan High Court & Anr. vs. Rajat Yadav & Ors.

Case No.: Civil Appeal No. 14112 of 2024 (with Civil Appeal Nos. 3957–4009 of 2025)

Case Type: Civil Appeal (Service / Recruitment Matter)

Coram: Justice Dipankar Datta

Decision Date: 2025

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