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उन्नाव रेप केस: दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सजा निलंबन पर CBI की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

उन्नाव रेप केस में कुलदीप सेंगर की जमानत और सजा निलंबन के खिलाफ CBI सुप्रीम कोर्ट पहुंची, POCSO कमजोर होने का मुद्दा उठाया।

Vivek G.
उन्नाव रेप केस: दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सजा निलंबन पर CBI की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

दिल्ली हाईकोर्ट के हालिया आदेश के बाद उन्नाव रेप मामले ने फिर से कानूनी हलकों में हलचल मचा दी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने पूर्व उत्तर प्रदेश विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दी गई जमानत और सजा निलंबन के खिलाफ अब सीधे Supreme Court of India का दरवाजा खटखटाया है। एजेंसी का कहना है कि यह आदेश न केवल कानून की भावना के विपरीत है, बल्कि नाबालिग पीड़ितों को सुरक्षा देने वाले कानून को भी कमजोर करता है।

पृष्ठभूमि

कुलदीप सिंह सेंगर को वर्ष 2019 में उन्नाव जिले की नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराया गया था। विशेष CBI अदालत ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बना रहा, क्योंकि पीड़िता और उसके परिवार ने लगातार धमकी और दबाव के आरोप लगाए थे। बाद में शीर्ष अदालत के निर्देश पर कई जुड़े मामलों की जांच भी CBI को सौंपी गई।

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इसी बीच, सेंगर की सजा के खिलाफ अपील लंबित रहते हुए Delhi High Court ने हाल ही में उनकी सजा निलंबित कर जमानत दे दी।

न्यायालय की टिप्पणियाँ

दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देते समय यह माना कि POCSO अधिनियम की धारा 5(c) और भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2) के तहत “गंभीर अपराध” की श्रेणी इस मामले में लागू नहीं होती। अदालत ने कहा कि एक विधायक को इन धाराओं के संदर्भ में “लोक सेवक” नहीं माना जा सकता। इसी आधार पर सजा निलंबन का आदेश पारित किया गया।

CBI ने इस निष्कर्ष पर कड़ा ऐतराज जताया है। अपनी याचिका में एजेंसी ने कहा, “यह एक संकीर्ण और तकनीकी व्याख्या है, जो POCSO जैसे कल्याणकारी कानून के उद्देश्य को ही कमजोर कर देती है।” CBI का तर्क है कि बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों में सत्ता या पद के दुरुपयोग को गंभीर परिस्थिति माना जाना चाहिए।

एजेंसी ने यह भी दलील दी कि केवल लंबी कैद को आजीवन सजा निलंबन का आधार नहीं बनाया जा सकता। “शीर्ष अदालत के कई फैसलों में साफ कहा गया है कि ऐसे मामलों में सजा निलंबन अपवाद होना चाहिए, नियम नहीं,” याचिका में कहा गया है।

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निर्णय

CBI ने सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली हाईकोर्ट के जमानत और सजा निलंबन आदेश को रद्द करने की मांग की है। एजेंसी ने पीड़िता की सुरक्षा और जनविश्वास का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे गंभीर अपराध में दोषी व्यक्ति को रिहा करना न्याय व्यवस्था के लिए गलत संदेश देता है। मामला अब सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचाराधीन है।

Case Title: CBI vs Kuldeep Singh Sengar (Challenge to Suspension of Sentence in Unnao Rape Case)

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Official judgment document (PDF)
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