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त्रिपुरा हाईकोर्ट ने भरण-पोषण पुनरीक्षण याचिका में सात दिन की देरी पर उठाया सवाल, अब्दुल खालक की फैमिली कोर्ट आदेश को चुनौती पर नोटिस जारी

श्री अब्दुल खलाक बनाम ब्यूटी अख्तर और अन्य, त्रिपुरा हाई कोर्ट ने अब्दुल खलाक के मेंटेनेंस रिवीजन पर नोटिस जारी किया है, सात दिन की देरी पर जवाब मांगा है और फैमिली कोर्ट के रिकॉर्ड मंगवाए हैं।

Vivek G.
त्रिपुरा हाईकोर्ट ने भरण-पोषण पुनरीक्षण याचिका में सात दिन की देरी पर उठाया सवाल, अब्दुल खालक की फैमिली कोर्ट आदेश को चुनौती पर नोटिस जारी

शुक्रवार को त्रिपुरा हाईकोर्ट में एक संक्षिप्त लेकिन अहम सुनवाई हुई, जब न्यायमूर्ति बिस्वजीत पालित ने श्री अब्दुल खालक द्वारा दायर आपराधिक पुनरीक्षण याचिका पर विचार किया। मामला अभी गुण-दोष के स्तर पर नहीं पहुँचा है, लेकिन अदालत ने प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए यह साफ कर दिया कि छोटी-सी देरी को भी विधिवत समझाया जाना जरूरी है।

यह मामला दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 से जुड़ा है, जो आम तौर पर पति-पत्नी के बीच मासिक भरण-पोषण के दावों में लागू की जाती है।

पृष्ठभूमि

श्री अब्दुल खालक ने 30 अगस्त 2025 को सोनामुरा स्थित सेपाहिजला जिले की फैमिली कोर्ट द्वारा पारित आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। यह आदेश क्रिमिनल मिसलेनियस केस संख्या 34/2023 में पारित किया गया था और इसमें ब्यूटी अक्तार और अन्य द्वारा दायर भरण-पोषण याचिका शामिल है।

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हालाँकि, पुनरीक्षण याचिका दाखिल करने में सात दिन की देरी हो गई थी। इसी देरी को माफ कराने के लिए याचिकाकर्ता ने एक अलग आवेदन भी दायर किया।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से विधिक सहायता अधिवक्ता श्री ए. टी. पाल उपस्थित थे। जब मामला पुकारा गया, तब प्रतिवादियों की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं था।

अदालत की टिप्पणियाँ

दस्तावेज़ों का अवलोकन करने के बाद न्यायमूर्ति पालित ने नोट किया कि यह पुनरीक्षण याचिका दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 397 और 401 के तहत दायर की गई है, जो हाईकोर्ट को निचली अदालतों के आदेशों की वैधता और सही होने की जाँच करने का अधिकार देती हैं।

अदालत ने देरी के आधार पर याचिका को खारिज नहीं किया। इसके बजाय पीठ ने कहा कि देरी माफी के अनुरोध पर दूसरे पक्ष को सुनना आवश्यक है। अदालत ने निर्देश दिया, “प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया जाए,” और यह स्पष्ट किया कि उन्हें देरी के मुद्दे के साथ-साथ मुख्य पुनरीक्षण याचिका पर भी जवाब देने का अवसर दिया जाना चाहिए।

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अदालत ने एक व्यावहारिक कदम उठाते हुए निचली अदालत से पूरा रिकॉर्ड भी तलब किया, जिससे संकेत मिलता है कि मामले की विस्तृत सुनवाई के दौरान फैमिली कोर्ट की कार्यवाही को विस्तार से परखा जाएगा।

आदेश

हाईकोर्ट ने देरी माफी आवेदन और मुख्य आपराधिक पुनरीक्षण-दोनों में प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता को निर्देश दिया गया है कि वह सात दिनों के भीतर सामान्य प्रक्रिया और पंजीकृत डाक (ए.डी.) दोनों माध्यमों से नोटिस की तामील सुनिश्चित करे।

फैमिली कोर्ट का रिकॉर्ड तलब कर लिया गया है और मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी 2026 को निर्धारित की गई है।

Case Title: Sri Abdul Khalak vs Beauty Aktar and Others

Case No.: IA No. 1 of 2025 in Crl. Rev. P. No. 74 of 2025

Case Type: Criminal Revision Petition (Maintenance matter under Section 125 Cr.P.C.)

Decision Date: 20 December 2025

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