कोर्ट रूम के भीतर एक काफी असामान्य दृश्य देखने को मिला, जब सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट में एक वकील होठों पर लाल टेप चिपकाकर पेश हुए। वकील ने कहा कि पिछली सुनवाई में उन्हें चुप कराया गया था। हालांकि, पीठ इस नाटकीय कदम से सहमत नहीं हुई और अपनी नाराज़गी खुलकर दर्ज की।
पृष्ठभूमि
मामला दो जुड़े हुए केसों से संबंधित है एक अवमानना याचिका जिसे कोर्ट ने खुद संज्ञान में लिया था और एक रिट याचिका जो याचिकाकर्ता नंद किशोर द्वारा दायर की गई है। ये मुद्दा दिल्ली सरकार द्वारा दिए गए मुआवज़े के प्रस्ताव से संबंधित है, जिसे याचिकाकर्ता स्वीकार करने से इनकार कर रहा है।
यह सुनवाई 1 दिसंबर 2025 को न्यायमूर्ति नितिन वासुदेव सांबरे और न्यायमूर्ति अनिश दयाल की पीठ के समक्ष हुई।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट आर.के. सैनी आराम से कोर्ट में दाखिल हुए और बैठते ही होठों पर लाल स्टिकफास्ट टेप लगाए हुए नज़र आए। शुरुआत में पीठ को लगा कि शायद उन्हें चोट लगी है। पूछने पर उन्होंने बताया कि पिछले दो मौकों पर अदालत ने बीच में रोककर उन्हें “चुप करा दिया”, इसीलिए यह प्रतीकात्मक विरोध है।
पीठ इस स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हुई।
“यह आचरण खराब स्वाद वाला और 25 साल से अधिक अनुभव वाले वकील से अपेक्षित नहीं है,” पीठ ने टिप्पणी की।
अदालत ने स्पष्ट किया कि पिछली सुनवाई में सैनी के तर्क काफी लंबे और दोहराव वाले हो गए थे, इसलिए दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया सुनने के लिए उन्हें रोका गया था।
जजों ने यह भी कहा कि ऐसे व्यवहार पर “उपयुक्त आदेश” भी पारित किए जा सकते थे, परंतु उनकी वरिष्ठता को देखते हुए सिर्फ कड़ा असंतोष दर्ज किया गया।
अदालत की टिप्पणियाँ
मुद्दे के मुख्य भाग पर, दिल्ली सरकार ने लिखित प्रस्ताव के जरिए ₹5 लाख मुआवज़े की पेशकश की, जिसे उन्होंने उचित बताया। लेकिन याचिकाकर्ता इसे मानने को तैयार नहीं हुआ।
राज्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन ने विस्तार से हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा, ताकि दोनों अवमानना और रिट मामलों में सरकारी पक्ष की स्थिति स्पष्ट की जा सके।
अदालत का आदेश
अदालत ने “आख़िरी मौका” देते हुए राज्य को दो सप्ताह में हलफ़नामा दाखिल करने और उसके बाद याचिकाकर्ता को दो सप्ताह का समय दिया कि वह जवाब दाखिल कर सके।
अब यह मामला 21 जनवरी 2026 को दोबारा सुना जाएगा।
Case Title: Court on its own motion vs. Delhi Administration through BDO










