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गुजरात हाई कोर्ट ने TADA दोषी की अवैध रिहाई रद्द की, जेल में लौटने का आदेश

सोराठिया हरेशभाई रमेशभाई बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य - गुजरात हाई कोर्ट ने TADA दोषी अनिरुद्धसिंह जडेजा की अवैध 2018 रिहाई रद्द कर, उन्हें दो हफ्ते में जेल लौटने का आदेश दिया।

Abhijeet Singh
गुजरात हाई कोर्ट ने TADA दोषी की अवैध रिहाई रद्द की, जेल में लौटने का आदेश

गुजरात हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कड़ा संदेश दिया कि कानून सबसे ऊपर है। कोर्ट ने TADA के दोषी अनिरुद्धसिंह महिपतसिंह जडेजा की 2018 में हुई समयपूर्व रिहाई को “अवैध और शून्य” करार दिया। कोर्ट ने आदेश दिया कि वे दो सप्ताह में खुद को जेल प्रशासन के सामने पेश करें।

घटना की पृष्ठभूमि

यह मामला 1988 के स्वतंत्रता दिवस का है, जब गोंडल के विधायक पोपटभाई सोराठिया की झंडारोहण समारोह के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। अनिरुद्धसिंह जडेजा को मौके पर ही पकड़ लिया गया था। हालांकि, TADA कोर्ट में 45 गवाह मुकर गए, जिससे उन्हें बरी कर दिया गया। लेकिन 1997 में सुप्रीम कोर्ट ने IPC की धारा 302 और TADA के तहत उन्हें आजीवन कारावास व तीन साल की सजा दी।
सजा के बाद भी जडेजा करीब तीन साल तक गिरफ्तारी से बचते रहे और 2000 में पकड़े गए। जेल में रहते हुए भी उन पर राजनीतिक रसूख के दम पर रैलियों में भाग लेने जैसे गंभीर आरोप लगते रहे।

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जनवरी 2018 में जडेजा के बेटे ने उनकी रिहाई के लिए आवेदन किया और उसी दिन जेल प्रशासन के ADGP TS बिष्ट ने 2017 की राज्य नीति के तहत उनकी रिहाई का आदेश दे दिया। पोपटभाई के पोते हरेशभाई सोराठिया ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी और दलील दी कि यह आदेश कानूनी प्रक्रिया को दरकिनार कर, अधिकारों का दुरुपयोग है।

हाई कोर्ट ने माना कि 2017 की क्षमादान नीति केवल एक बार के लिए थी, आगे उसके आधार पर रिहाई नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह आदेश न तो राज्यपाल के नाम से था, ना ही आवश्यक सलाहकार बोर्ड या ट्रायल कोर्ट की राय ली गई थी।

जस्टिस हसमुख डी. सूथार ने निर्णय सुनाते हुए कहा, “चाहे कोई कितना भी ऊँचा क्यों न हो, कानून उससे ऊपर है। 2018 से जिस स्वतंत्रता का दोषी ने आनंद लिया, वह अवैध आदेश का परिणाम है।” कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि क्षमादान कोई अधिकार नहीं, बल्कि प्रक्रिया के तहत ही संभव है।

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आगे क्या होगा

कोर्ट ने आदेश दिया है कि जडेजा 18 सितंबर 2025 तक जेल का रुख करें, पासपोर्ट जमा करें और तब तक हर सप्ताह पुलिस थाने में हाजिरी लगाएं। वहीं, राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, पूरी तरह से कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए, फिर से उनकी क्षमादान अर्जी पर विचार करने को कहा गया है।

यह फैसला समाज में संदेश देता है कि राजनीतिक या प्रशासनिक दबाव के चलते कानून को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

केस शीर्षक:- सोराठिया हरेशभाई रमेशभाई बनाम गुजरात राज्य एवं अन्य

केस नंबर:- र/विशेष आपराधिक आवेदन (निर्देशन) सं. 13245/2024

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