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सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन जुए और अनियमित सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म पर राष्ट्रीय प्रतिबंध की मांग वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन जुआ ऐप्स पर देशव्यापी प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया, सरकार से नए गेमिंग कानून के तहत जवाब देने को कहा। - सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य।

Shivam Y.
सुप्रीम कोर्ट ने ऑनलाइन जुए और अनियमित सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म पर राष्ट्रीय प्रतिबंध की मांग वाली याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

नई दिल्ली, 3 नवम्बर - सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है, जिसमें एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा गया है जो ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग के नाम पर चल रहे ऑनलाइन जुए और सट्टेबाजी ऐप्स पर देशव्यापी कार्रवाई की मांग करती है। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टमिक चेंज (CASC) नामक एनजीओ द्वारा दायर इस याचिका पर सुनवाई की।

पृष्ठभूमि

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विराग गुप्ता ने दलील दी कि भारत में फिलहाल करीब दो हजार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म सक्रिय हैं जो कौशल-आधारित खेलों के नाम पर सट्टेबाजी और जुए जैसी गतिविधियां चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये खेल युवाओं को प्रभावित कर रहे हैं और समाज में एक गंभीर समस्या बन चुके हैं, इसलिए तत्काल सरकारी हस्तक्षेप जरूरी है।

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CASC ने अदालत से अनुरोध किया कि केंद्र सरकार प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग एक्ट, 2025 को राज्यों के मौजूदा कानूनों के साथ समन्वय में लागू करे और तमिलनाडु के ऑनलाइन गेमिंग निषेध अधिनियम, 2022 जैसी कठोर व्यवस्था पूरे देश में अपनाई जाए। याचिका में यह भी मांग की गई कि आईटी अधिनियम की धारा 69A के तहत गैरकानूनी प्लेटफॉर्म्स को तुरंत ब्लॉक किया जाए और यूपीआई जैसे डिजिटल भुगतान माध्यमों के जरिए जुए से जुड़े लेन-देन को रोका जाए।

अदालत की टिप्पणियाँ

सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने टिप्पणी की कि यह मामला “जनहित के गंभीर सवाल” उठाता है और इसे सावधानीपूर्वक परखा जाना चाहिए। पीठ ने केंद्र सरकार के पैनल वकील वी.सी. भारती की दलील पर भी गौर किया, जिन्होंने बताया कि ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ा नया केंद्रीय कानून पहले ही पारित हो चुका है, लेकिन अभी लागू नहीं हुआ है।

पीठ ने कहा,

“यदि सरकार ने एक समग्र कानून बनाया है, तो उसका क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है। तब तक अवैध संचालन अनियंत्रित रूप से जारी नहीं रह सकते,” - यह टिप्पणी अदालत में उपस्थित एक पर्यवेक्षक ने सुनवाई के बाद साझा की।

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याचिकाकर्ता ने यह भी अनुरोध किया कि आईटी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस) नियम, 2021 के तहत केवल लाइसेंस प्राप्त ऐप्स को ही गूगल प्ले स्टोर जैसे प्लेटफॉर्म पर अनुमति दी जाए। साथ ही, उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) और सीबीआई के माध्यम से विदेशी कंपनियों से जीएसटी और आयकर की वसूली की मांग की।

निर्णय

संक्षिप्त सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और उनसे जवाब मांगा। इस मामले को अब T.C.(C) No. 133/2025 के साथ जोड़ा गया है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, “नोटिस जारी किया जाए। उपयुक्त जवाब दाखिल किया जाए।” अब यह मामला यह तय करेगा कि आगामी ऑनलाइन गेमिंग कानून किस तरह विनियमन, कर व्यवस्था और युवा उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के बीच संतुलन बनाएगा।

Case Title: Centre for Accountability and Systemic Change (CASC) & Anr. vs. Union of India & Ors.

Case Type: Writ Petition (Civil) No. 1008 of 2025

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