मेन्यू
समाचार खोजें...
होम

दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘जॉली LLB 2’ ट्रेलर से जुड़े बाटा मानहानि मामले में अभिनेता को हटाने से इनकार किया, साजिश और ट्वीट जिम्मेदारी पर सुनवाई जारी

दिल्ली उच्च न्यायालय ने जॉली एलएलबी 2 के ट्रेलर को लेकर बाटा के मानहानि मामले में अभिनेता को हटाने से इनकार कर दिया है, जिसमें ट्वीट की जवाबदेही और साजिश के मुद्दों का हवाला दिया गया है। मामला अब सुनवाई के लिए भेजा जाएगा। - बाटा इंडिया लिमिटेड बनाम सुभाष कपूर और अन्य

Shivam Y.
दिल्ली हाई कोर्ट ने ‘जॉली LLB 2’ ट्रेलर से जुड़े बाटा मानहानि मामले में अभिनेता को हटाने से इनकार किया, साजिश और ट्वीट जिम्मेदारी पर सुनवाई जारी

नई दिल्ली, 19 दिसंबर 2025 - बाटा इंडिया लिमिटेड बनाम सुभाष कपूर एवं अन्य की सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में आज माहौल काफ़ी गर्म रहा। विवाद उस ट्रेलर से शुरू हुआ जिसमें एक पात्र “सस्ते जूते” और “बाटा” का नाम जोड़ता है। बाटा का दावा है कि इस संवाद ने उनके ब्रांड को समाज में “सस्ता” और “निम्न वर्ग” का प्रतीक बताकर प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया।

अभिनेता (प्रतिवादी संख्या 5) ने खुद को मुकदमे से हटाने की मांग की, यह कहते हुए कि न वह निर्माता हैं, न संवाद लेखक, न ही उन्होंने विवादित पंक्ति बोली। मगर अदालत इस तर्क से सहमत नहीं हुई।

पृष्ठभूमि

फिल्म के ट्रेलर में दिखाई गई पंक्ति के बाद बाटा ने कानूनी नोटिस भेजा। इसके बाद अदालत ने अंतरिम निषेधाज्ञा देते हुए ट्रेलर व फिल्म में “BATA” शब्द के उपयोग पर रोक लगाई और बाद में इसे बदलकर “phata” (फटा) कर दिया गया।

Read also:- चांदनी चौक की दुकानों की सीलिंग पर ट्रिब्यूनल सख्त: एमसीडी के आदेशों में खामियां, बड़ी राहत

बाटा का आरोप है कि अभिनेता एक प्रतिस्पर्धी फुटवियर ब्रांड के ब्रांड एंबेसडर हैं, इसलिए उनकी छवि को खराब करने से प्रतियोगी ब्रांड को फायदा होता। वहीं अभिनेता पक्ष का कहना है कि यह उनकी भूमिका थी, निजी बयान नहीं।

दलीलें: दोनों ओर से क्या कहा गया

अभिनेता पक्ष ने दलील दी कि:

  • संवाद उन्होंने नहीं बोला
  • स्क्रिप्ट पहले से तैयार थी
  • प्रॉफिट-शेयर करने से कोई निर्माता नहीं बन जाता
  • ट्वीट करने को मानहानि का कृत्य नहीं माना जा सकता

लेकिन बाटा की ओर से बेहद सीधी दलील आई -

“ट्वीट करके ट्रेलर को आगे बढ़ाना खुद में प्रकाशन (publication) है और यह स्वतंत्र रूप से मानहानि की जिम्मेदारी खड़ी करता है।”

Read also:- लीज समाप्ति: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीमा-बैंक मामले में स्पष्ट रुख अपनाया

अदालत ने भी कहा:

“ट्वीट साझा करना संभावित मानहानिकारक सामग्री का प्रसार है; यह स्वतंत्र दायित्व उत्पन्न कर सकता है।”

यहीं अदालत ने यह भी नोट किया कि उस दृश्य में अभिनेता बाटा के जूते पहने हुए भी नहीं दिखाए गए, फिर भी ब्रांड का नाम लिया गया - यह इरादे पर सवाल उठाता है।

अदालत की टिप्पणियां

न्यायालय ने माना कि अभिनेता ने संवाद नहीं बोला, लेकिन यह पर्याप्त नहीं कि मुकदमे से उनका नाम हटाया जाए।

“साजिश के आरोप और ट्वीट की कार्रवाई एक ट्राएबल इश्यू (परीक्षण योग्य मुद्दा) बनाते हैं। यह सब साक्ष्य के दौरान स्पष्ट होगा।” - अदालत की टिप्पणी

Read also:- AI डीपफेक पर हाईकोर्ट की सख्ती: शिल्पा शेट्टी की निजता की रक्षा के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का त्वरित हस्तक्षेप

कोर्ट ने साफ़ कहा कि स्क्रिप्ट कब तैयार हुई, क्या अभिनेता का प्रोडक्शन में कोई प्रभाव था, क्या ट्वीट से जानबूझकर नुकसान हुआ - ये सवाल ट्रायल में जांचे जाएंगे।

निर्णय

अदालत ने अभिनेता की पार्टी से नाम हटाने की मांग ठुकरा दी।
फैसले की पंक्तियों में साफ़ लिखा है -

“आवेदक आवश्यक पक्ष है। आवेदन खारिज किया जाता है। IA निस्तारित।”

Case Title: Bata India Ltd. v. Subhash Kapoor & Others

Case Number: CS (COMM) 56/2017

Date of Order: 19 December 2025

📄 Download Full Court Order
Official judgment document (PDF)
Download

More Stories