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लीज समाप्ति: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीमा-बैंक मामले में स्पष्ट रुख अपनाया

द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बनाम एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा, लीज समाप्त होने के बाद नई लीज विवाद पर मध्यस्थता लागू नहीं, बैंक की अर्जी खारिज।

Vivek G.
लीज समाप्ति: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बीमा-बैंक मामले में स्पष्ट रुख अपनाया

कोर्टरूम में सोमवार को माहौल थोड़ा गरम रहा। बीमा कंपनी और बैंक के बीच लीज को लेकर पुराना विवाद, लेकिन सवाल बिल्कुल सीधा-क्या इस मामले को मध्यस्थता (arbitration) के हवाले किया जा सकता है या नहीं। Calcutta High Court की कमर्शियल डिवीजन में सुनवाई के दौरान जस्टिस Aniruddha Roy ने दोनों पक्षों की दलीलें विस्तार से सुनीं और आखिरकार बैंक की अर्जी पर साफ शब्दों में ना कह दी।

Background

मामला एक कमर्शियल प्रॉपर्टी से जुड़ा है, जिसे वर्ष 2014 में नौ साल की अवधि के लिए The New India Assurance Company Limited को लीज पर दिया गया था। यह लीज 31 मार्च 2023 को अपने आप समाप्त हो गई।

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बीच में संपत्ति का स्वामित्व बदल गया। पहले HDFC लिमिटेड के पास रही प्रॉपर्टी, मर्जर के बाद HDFC Bank Limited के पास आ गई।

बीमा कंपनी का कहना था कि लीज खत्म होने से पहले, मई 2022 में दोनों पक्षों के बीच कुछ पत्राचार हुआ था। इन ईमेल्स और पत्रों से एक “पक्का समझौता” बना, जिसके आधार पर अप्रैल 2023 से नई 10 साल की लीज मिलनी थी। बैंक ने किराया भी लिया, लेकिन नई लीज डीड कभी साइन नहीं हुई। बाद में बैंक ने खाली करने का नोटिस भेज दिया।

Court’s Observations

बैंक की ओर से दलील दी गई कि पुरानी लीज में मध्यस्थता का क्लॉज मौजूद है और “किसी भी तरह का विवाद” उसी के तहत आर्बिट्रेशन में जाना चाहिए।

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इस पर कोर्ट ने सीधा सवाल उठाया-जब लीज ही खत्म हो चुकी है, तो क्या उसी लीज के आर्बिट्रेशन क्लॉज को पकड़कर नई लीज के दावे को बाहर भेजा जा सकता है?

पीठ ने कहा कि वादी की याचिका को जैसा लिखा गया है, वैसा ही पढ़ा जाना चाहिए। “लीज के समाप्त होने के बाद नवीनीकरण का सवाल ही नहीं उठता,” अदालत ने टिप्पणी की।

जज ने यह भी कहा कि बीमा कंपनी जिस राहत की मांग कर रही है, वह किसी पुराने लीज अधिकार पर आधारित नहीं है, बल्कि कथित नए समझौते पर आधारित है। “ऐसा दावा, समाप्त हो चुकी लीज के मध्यस्थता समझौते के दायरे में नहीं आता,” कोर्ट ने स्पष्ट किया।

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Decision

इन कारणों से हाईकोर्ट ने माना कि यह विवाद मध्यस्थता योग्य नहीं है। बैंक की धारा 8 के तहत दाखिल अर्जी खारिज कर दी गई और कहा गया कि मामला सिविल कोर्ट में ही आगे बढ़ेगा। किसी भी पक्ष पर लागत (cost) नहीं लगाई गई।

Case Title: The New India Assurance Company Limited vs HDFC Bank Limited

Case No.: IA No. GA-COM/2/2025 in CS-COM/41/2025

Case Type: Commercial Suit (Application under Section 8, Arbitration and Conciliation Act, 1996)

Decision Date: December 23, 2025

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Official judgment document (PDF)
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