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कलकत्ता हाईकोर्ट ने मणि स्क्वायर लिमिटेड को पिरामल फाइनेंस के साथ ऋण विवाद में अंतरिम राहत दी

कलकत्ता हाईकोर्ट ने मणि स्क्वायर लिमिटेड को पिरामल फाइनेंस के खिलाफ Rs100 करोड़ के ऋण विवाद में अंतरिम राहत दी, और सितंबर 2025 तक रिकॉल नोटिसों के प्रवर्तन पर रोक लगाई।

Prince V.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मणि स्क्वायर लिमिटेड को पिरामल फाइनेंस के साथ ऋण विवाद में अंतरिम राहत दी

कलकत्ता हाईकोर्ट की वाणिज्यिक पीठ के न्यायमूर्ति कृष्णा राव ने मणि स्क्वायर लिमिटेड और एक अन्य याचिकाकर्ता को पिरामल फाइनेंस लिमिटेड के साथ ऋण पुनर्भुगतान और रिकॉल नोटिसों को लेकर चल रहे विवाद में अंतरिम राहत प्रदान की। यह आदेश 19 अगस्त 2025 को सुनाया गया, जबकि सुनवाई 12 अगस्त 2025 को पूरी हुई थी।

विवाद की पृष्ठभूमि

मणि ग्रुप, जो रियल एस्टेट, हॉस्पिटैलिटी और एजु-हेल्थ सेक्टर में काम करता है, कोलकाता के चौरंगी रोड पर प्रतिष्ठित प्रोजेक्ट द 42 के विकास में साझेदार था। इस प्रोजेक्ट के लिए समूह ने 2018 में पिरामल फाइनेंस से ₹120 करोड़ का ऋण लिया, जिसमें से ₹95.50 करोड़ अग्रिम रूप से वितरित किए गए थे।

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जून 2022 में, पिरामल फाइनेंस ने ₹106 करोड़ का दूसरा ऋण स्वीकृत किया, जिसका मुख्य उद्देश्य पहले के ऋण का निपटान करना था। लेकिन 2025 में, ऋणदाता ने कई रिकॉल नोटिस जारी कर बड़ी राशि की मांग की, जिसमें ₹92 करोड़ से अधिक का दावा शामिल था। मणि ग्रुप ने इन नोटिसों की वैधता को चुनौती दी और कहा कि ऋण अनुबंध में इस तरह की रिकॉल व्यवस्था का प्रावधान नहीं है तथा उन्होंने ब्याज के साथ किश्तों का भुगतान पहले ही कर दिया है।

दूसरी ओर, पिरामल फाइनेंस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सुदीप्तो सरकार ने कहा कि उधारकर्ता आदतन डिफॉल्टर हैं। उन्होंने जोर दिया कि पिरामल फाइनेंस ने पहले ही दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC), 2016 की धारा 7 के तहत कार्यवाही शुरू कर दी है, जिससे यह दीवानी वाद विचारणीय नहीं रह जाता। उन्होंने ऋणदाता को अनुबंध में मिली पूर्ण स्वतंत्रता का भी हवाला दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एन. मुखर्जी, जो एक अन्य प्रतिवादी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, ने तर्क दिया कि नोटिस सुरक्षा न्यासी (Security Trustee) द्वारा जारी किए गए थे, जिसे अनुबंध के तहत ऋण रिकॉल करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अनुबंध केवल दंडात्मक ब्याज (penal interest) की अनुमति देता है, न कि ऋण रिकॉल की।

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अदालत ने कहा:

“याचिकाकर्ताओं ने प्रथमदृष्टया एक मजबूत मामला बनाया है और सुविधा का संतुलन भी उनके पक्ष में है। यदि अंतरिम आदेश नहीं दिया जाता तो याचिकाकर्ताओं को अपूरणीय क्षति और हानि होगी।”

अदालत ने यह भी नोट किया कि रिकॉल नोटिस जारी होने के बाद भी पिरामल फाइनेंस ने मणि ग्रुप से ₹16.62 करोड़ की अतिरिक्त राशि स्वीकार की।

अदालत ने पिरामल फाइनेंस और उसके एजेंटों को निर्देश दिया कि वे 28 मई, 8 जून, 13 जून और 16 जून 2025 को जारी किए गए रिकॉल नोटिसों को लागू न करें। यह अंतरिम राहत 17 सितंबर 2025 तक के लिए प्रदान की गई है। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि NCLT पिरामल फाइनेंस के IBC आवेदन पर प्रवेश संबंधी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।

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मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर 2025 को होगी।

मामले का शीर्षक: Mani Square Limited & Anr. vs. Piramal Finance Limited & Ors.


मामला संख्या: G.A. (COM) No. 1 of 2025 in C.S. (COM) No. 93 of 2025

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