मेन्यू
समाचार खोजें...
होम

दिल्ली हाई कोर्ट ने Star Smith पर रोक लगाई, A.O. Smith ट्रेडमार्क उल्लंघन साबित; डोमेन और नाम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध

A.O. Smith Corporation vs Star Smith Export Pvt. Ltd. - दिल्ली उच्च न्यायालय ने ट्रेडमार्क उल्लंघन के मामले में ए.ओ. स्मिथ के पक्ष में फैसला सुनाते हुए स्टार स्मिथ को समान नाम और डोमेन का उपयोग करने से रोक दिया।

Shivam Y.
दिल्ली हाई कोर्ट ने Star Smith पर रोक लगाई, A.O. Smith ट्रेडमार्क उल्लंघन साबित; डोमेन और नाम के इस्तेमाल पर प्रतिबंध

दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 दिसंबर 2025 को एक अहम आदेश देते हुए अमेरिकी कंपनी A.O. Smith के पक्ष में फैसला दिया और Star Smith Export Pvt. Ltd. को उसका नाम, लोगो और डोमेन starsmith.in इस्तेमाल करने से रोक दिया। अदालत ने माना कि यह नाम और ब्रांड पहचान A.O. Smith से भ्रामक रूप से मिलता-जुलता है और उपभोक्ताओं को भ्रमित कर सकता है।

यह आदेश न्यायमूर्ति तेजस कारिया ने पारित किया, जिन्होंने माना कि समान उद्योग और समान उपभोक्ता आधार में ऐसे नाम का उपयोग “अनुचित लाभ” और “मार्केट भ्रम” पैदा करता है।

मामले की पृष्ठभूमि

A.O. Smith, जिसकी स्थापना 1874 में हुई थी और जो 2006 से भारत में सक्रिय है, ने 2022 में यह दावा किया कि Star Smith का नाम, ट्रेडमार्क और डोमेन उसके लंबे समय से स्थापित ब्रांड के साथ टकराव पैदा कर रहे हैं। कंपनी ने कहा कि “SMITH” उनके ब्रांड का प्रमुख और पहचान योग्य हिस्सा है, जिसे उपभोक्ता सीधे उनसे जोड़ते हैं।

Read also:- पटना हाईकोर्ट ने DMCH स्टाफ की सज़ा रद्द की, कहा– जांच में न गवाह न सबूत; ICU ऑक्सीजन केस में बड़ी राहत

वहीं, प्रतिवादी पक्ष ने तर्क दिया कि “Smith” एक सामान्य नाम है और किसी एक कंपनी का इस पर एकाधिकार नहीं हो सकता। लेकिन अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया।

अदालत के प्रमुख अवलोकन

अदालत ने पाया कि प्रतिवादी स्वयं “Smith” शब्द वाले ट्रेडमार्क के लिए आवेदन कर चुका है, इसलिए यह तर्क कि शब्द आम है या किसी का नहीं, खुद ही विरोधाभासी हो जाता है। न्यायाधीश ने कहा कि Star Smith का चयन 2020 में हुआ, जबकि A.O. Smith का भारत में उपयोग 2006 से हो रहा है, इसलिए यह चयन “स्वाभाविक या संयोगवश” नहीं माना जा सकता।

Read also:- सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दशकों पुराने बंधक विवाद में मोर्टगेजर का रिडेम्पशन अधिकार बरकरार, अपील खारिज

अदालत ने टिप्पणी की:

“‘SMITH’ वादी के ट्रेडमार्क का प्रमुख हिस्सा है। प्रतिवादी द्वारा समान नाम अपनाना भ्रम और गलत संबद्धता पैदा करता है।”

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भ्रम की संभावना पर अदालत ने “Initial Interest Confusion” का ज़िक्र किया यानी उपभोक्ता गलत वेबसाइट पर पहुँचकर बाद में भले समझ जाएँ, लेकिन उससे भी नुकसान और भ्रामक लाभ बनता है।

Read also:- इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: नगर पंचायत चुनाव याचिका में देरी माफी अवैध, अध्यक्ष पद पर ओंकार गुप्ता बहाल

कोर्ट का फैसला

अदालत ने पाया कि A.O. Smith अपनी पूर्व उपयोग, पहचान, और उपभोक्ता भ्रम साबित करने में सफल रहा। इसके बाद कोर्ट ने स्पष्ट आदेश दिया कि Star Smith और उससे जुड़े व्यक्ति:

  • Star Smith Export Pvt. Ltd. नाम का उपयोग नहीं करेंगे
  • starsmith.in डोमेन का इस्तेमाल नहीं करेंगे
  • कोई भी A.O. Smith से मिलता-जुलता या भ्रामक नाम/डोमेन/मार्क इस्तेमाल नहीं करेंगे

न्यायमूर्ति कारिया ने आदेश पारित करते हुए कहा कि बिना रोक के यह उपयोग कंपनी की प्रतिष्ठा को “अपूर्णीय क्षति” पहुँचा सकता है। परिणामस्वरूप, अंतरिम निषेधाज्ञा (interim injunction) स्वीकार की गई और आवेदन निस्तारित कर दिया गया।

Case Title:- A.O. Smith Corporation vs Star Smith Export Pvt. Ltd.

Case Number: CS(COMM) 532/2022

More Stories