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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दशकों पुराने बंधक विवाद में मोर्टगेजर का रिडेम्पशन अधिकार बरकरार, अपील खारिज

दलीप सिंह (डी) एलआरएस के माध्यम से बनाम सावन सिंह (डी) एलआरएस के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उपभोगाधिकार बंधक में समय बीतने से रिडेम्पशन अधिकार खत्म नहीं होता। दशकों पुराने भूमि विवाद में अपील खारिज।

Vivek G.
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: दशकों पुराने बंधक विवाद में मोर्टगेजर का रिडेम्पशन अधिकार बरकरार, अपील खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने एक लंबे समय से चले आ रहे जमीन बंधक विवाद में अहम कानूनी स्थिति साफ करते हुए कहा है कि उपभोगाधिकार (Usufructuary) बंधक के मामलों में केवल समय बीत जाने से मोर्टगेजर का रिडेम्पशन (बंधक छुड़ाने) का अधिकार खत्म नहीं होता। अदालत ने हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी।

मामले की पृष्ठभूमि

यह विवाद पंजाब के बठिंडा जिले के गांव तमकोट की करीब 114 कनाल 4 मरला भूमि से जुड़ा है। जमीन को कई दशक पहले प्रतिवादियों के पूर्वजों ने बंधक रखा था। बाद में प्रतिवादियों ने Redemption of Mortgage Act, 1913 के तहत कलेक्टर के समक्ष आवेदन देकर जमीन छुड़ाने की मांग की।

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कलेक्टर ने 17 सितंबर 1975 को बंधक छुड़ाने की अनुमति दे दी। इस आदेश को बंधकधारकों (मोर्टगेजी) ने सिविल सूट के जरिए चुनौती दी। ट्रायल कोर्ट ने माना कि रिडेम्पशन का आवेदन समय-सीमा से बाहर है और कलेक्टर का आदेश रद्द कर दिया।

ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील और फिर दूसरी अपील हाईकोर्ट पहुंची। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने यह कहते हुए ट्रायल कोर्ट का फैसला पलट दिया कि उपभोगाधिकार बंधक में रिडेम्पशन का अधिकार तब तक खत्म नहीं होता, जब तक बंधक राशि का भुगतान या समायोजन नहीं हो जाता।

इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां बंधकधारकों ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी।

अदालत की महत्वपूर्ण टिप्पणियां

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पहले के एक तीन-न्यायाधीशों के फैसले का हवाला देते हुए साफ किया कि:

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“उपभोगाधिकार बंधक में सीमा अवधि बंधक की तारीख से नहीं, बल्कि उस दिन से शुरू होती है जब मोर्टगेजर बंधक राशि का भुगतान करता है या अदालत में जमा करता है।”

पीठ ने यह भी कहा कि केवल तय समय बीत जाने से रिडेम्पशन का अधिकार समाप्त नहीं होता, और न ही इससे बंधकधारक अपने आप मालिक बन सकता है।

अदालत ने हाईकोर्ट के तर्कों से सहमति जताते हुए कहा कि यदि तय कानूनी सिद्धांत को इस मामले पर लागू किया जाए, तो बंधकधारकों की दायर अपील टिक नहीं सकती।

न्यायालय ने कहा कि कलेक्टर का 1975 का आदेश सही था, और बंधक छुड़ाने का अधिकार वैध रूप से प्रयोग किया गया था।

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“हम हाईकोर्ट के फैसले की पुष्टि करते हैं और वादियों द्वारा दायर अपील को खारिज करते हैं।”

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम रोक आदेश भी समाप्त कर दिया और कहा कि दोनों पक्ष अपना-अपना खर्च स्वयं वहन करेंगे। यहीं पर अदालत का निर्णय समाप्त हुआ।

Case Title: Dalip Singh (D) Through LRs vs Sawan Singh (D) Through LRs

Case No.: Civil Appeal No. 3358 of 2010

Case Type: Civil Appeal – Mortgage Redemption

Decision Date: 12 November 2025

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