शिमला की ठंडी सुबह में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट की कोर्ट नंबर में खामोशी कुछ ज्यादा ही गहरी थी। न्यायमूर्ति विरेंदर सिंह की एकल पीठ ने बहुचर्चित विमल नेगी मौत मामले में अहम आदेश सुनाया। अदालत ने HPPCL के प्रबंध निदेशक और वरिष्ठ IAS अधिकारी हरिकेश मीणा को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी। कोर्ट ने साफ किया कि जमानत के स्तर पर मामले की गहराई से पड़ताल करना उचित नहीं है।
पृष्ठभूमि
यह मामला मार्च 2025 का है, जब HPPCL के वरिष्ठ अधिकारी विमल नेगी का शव भाखड़ा डैम क्षेत्र से बरामद हुआ। उनकी पत्नी ने आरोप लगाया कि पावर कॉरपोरेशन के शीर्ष अधिकारियों द्वारा लंबे समय से मानसिक उत्पीड़न और अत्यधिक कार्य दबाव डाला जा रहा था, जिसके चलते उनके पति ने यह कठोर कदम उठाया।
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शुरुआत में न्यू शिमला थाने में FIR दर्ज हुई, बाद में जांच CBI को सौंप दी गई। हरिकेश मीणा ने अदालत में दलील दी कि उनका नाम सीधे FIR में नहीं है और वे जांच में सहयोग करते रहे हैं। उन्होंने गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए अग्रिम जमानत की मांग की।
कोर्ट की टिप्पणियां
CBI ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मामला संवेदनशील है और जांच अभी जारी है। एजेंसी के अनुसार, परियोजना से जुड़े कुछ प्रशासनिक फैसलों को लेकर मृतक पर दबाव बनाया गया था। हालांकि अदालत इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं दिखी।
न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप तभी टिकता है, जब सीधा या निकट कारण स्पष्ट रूप से सामने आए। अदालत ने टिप्पणी की,
“जमानत पर सुनवाई के समय अदालत को मिनी ट्रायल नहीं करना चाहिए।”
कोर्ट ने यह भी नोट किया कि इसी मामले में सह-आरोपी देशराज, जिन पर समान आरोप थे, उन्हें पहले ही सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है। ऐसे में समानता के आधार पर हरिकेश मीणा को राहत से वंचित रखना कठिन होगा।
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निर्णय
सभी परिस्थितियों पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने 7 अप्रैल 2025 को दी गई अंतरिम सुरक्षा को स्थायी कर दिया। अदालत ने आदेश दिया कि यदि हरिकेश मीणा की गिरफ्तारी होती है, तो उन्हें ₹50,000 के निजी मुचलके और समान राशि की जमानत पर रिहा किया जाए।
हालांकि यह राहत कुछ शर्तों के साथ दी गई है-आवेदक जांच में पूरा सहयोग करेगा, बिना अनुमति देश से बाहर नहीं जाएगा, गवाहों को प्रभावित नहीं करेगा और ट्रायल कोर्ट में नियमित रूप से पेश होगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल जमानत तक सीमित है और इससे मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं मानी जाएगी।
Case Title: Harikesh Meena vs Central Bureau of Investigation
Case No.: CrMP (M) No. 781 of 2025
Case Type: Anticipatory Bail Application
Decision Date: 24 December 2025










