श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट की अदालत में जैसे ही यह मामला बुलाया गया, साफ था कि विवाद सिर्फ़ कानूनी नहीं बल्कि एक टूटे हुए वैवाहिक रिश्ते की परतें भी खोलने वाला है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अपील की थी कि उनके खिलाफ दर्ज दहेज और क्रूरता की FIR कानून के दुरुपयोग का उदाहरण है।
Background of the Case
यह याचिका FIR संख्या 06/2023 से जुड़ी थी, जो अनंतनाग के महिला थाना में IPC की धारा 498-A और दहेज निषेध अधिनियम के तहत दर्ज की गई थी।
शिकायत पत्नी की ओर से दी गई थी, जिनका कहना था कि शादी के बाद उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया और दहेज की मांग की गई।
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हालांकि रिकॉर्ड से यह भी सामने आया कि FIR दर्ज होने से पहले पत्नी पहले ही भरण-पोषण (Section 125 CrPC) और घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अलग-अलग कार्यवाहियां शुरू कर चुकी थीं। इन याचिकाओं में दहेज की मांग का कोई स्पष्ट आरोप नहीं था।
पति की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि दोनों के बीच तलाक हो चुका था और उसके बाद ही पत्नी ने यह FIR दर्ज कराई।
यह भी कहा गया कि पति द्वारा दूसरी शादी करने के बाद ही आपराधिक मुकदमे की शुरुआत हुई, जिससे साफ संकेत मिलता है कि FIR प्रतिशोध की भावना से दर्ज कराई गई।
वकील ने अदालत का ध्यान इस ओर भी दिलाया कि पहले की कानूनी कार्यवाहियों में दहेज या गंभीर हिंसा का कोई उल्लेख नहीं है।
सरकार की ओर से कहा गया कि जांच पूरी हो चुकी है और बैंक ट्रांजेक्शन सहित कुछ सबूत इकट्ठा किए गए हैं।
राज्य का तर्क था कि जब जांच में अपराध बनता दिख रहा है, तब हाईकोर्ट को इस स्तर पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
Court Observation
जस्टिस संजय परिहार ने रिकॉर्ड और केस डायरी का विस्तार से अध्ययन करते हुए कहा कि,
“केवल सामान्य और अस्पष्ट आरोपों के आधार पर आपराधिक कानून को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता।”
अदालत ने यह भी नोट किया कि शिकायत में किसी विशेष तारीख, घटना या ठोस उदाहरण का उल्लेख नहीं किया गया है।
बयान बेहद संक्षिप्त थे और पहले के मामलों से मेल नहीं खाते।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि धारा 498-A का उद्देश्य महिलाओं की सुरक्षा है, न कि निजी बदले का हथियार बनना।
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Decision
सभी तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए हाईकोर्ट ने यह निष्कर्ष निकाला कि:
- FIR दूसरी शादी के बाद प्रतिक्रिया स्वरूप दर्ज की गई
- आरोपों में गंभीर असंगति और देरी है
- आपराधिक कार्यवाही जारी रखना कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा
अदालत ने FIR संख्या 06/2023 से जुड़ी सभी कार्यवाहियों को रद्द कर दिया और कहा कि इस मामले को आगे बढ़ाना न्याय के हित में नहीं है।
Case Title: Shakeel-ul-Rehman & Anr. vs SHO Women Police Station Anantnag
Case No.: CRM(M) No. 162/2023, CrLM No. 150/2024
Case Type: Criminal – FIR Quashing
Decision Date: 26 December 2025









