नई दिल्ली, 27 दिसंबर - सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अरावली पहाड़ियों की नई परिभाषा को लेकर बढ़ती चिंताओं पर स्वतः संज्ञान (suo motu) लिया और मामले की तात्कालिक सुनवाई 29 दिसंबर 2025 को तय की। अदालत के रुख से साफ लगा कि यह मुद्दा जल्दी निपटने वाला नहीं है और कोर्ट इसे गंभीरता से देख रही है।
पृष्ठभूमि
यह विवाद तब उठा जब नवंबर में दिए गए आदेश में कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय की समिति की सिफारिशें स्वीकार करते हुए ‘अरावली हिल’ को किसी भी ऐसे भू-आकृति के रूप में परिभाषित किया जो स्थानीय भू-भाग से 100 मीटर ऊँची हो। वहीं, दो या अधिक पहाड़ियाँ अगर 500 मीटर के दायरे में हों, तो उसे ‘अरावली रेंज’ माना गया।
पर्यावरण कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह तकनीकी बदलाव सुनने में छोटा लगता है, लेकिन इससे
“सुरक्षित क्षेत्र कम” दिख सकता है और खनन को रास्ता मिल सकता है। बाहर एक अधिवक्ता ने कहा, “परिभाषा बदली तो ज़मीन पर असर बदलेगा, यही डर है।”
अदालत की टिप्पणियाँ
विशेष अवकाश पीठ, जिसमें मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत, जस्टिस जे.के. महेश्वरी और जस्टिस ए.जी. मसीह शामिल थे, ने स्पष्ट चेतावनी दी। सुनवाई के दौरान माहौल गंभीर था जब CJI ने कहा-
“पीठ ने कहा, ‘तकनीकी पुनर्वर्गीकरण के नाम पर पर्यावरण सुरक्षा से समझौता नहीं हो सकता।’”
कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि जब तक सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान (MPSM) तैयार नहीं होता, तब तक नए खनन लाइसेंस नहीं दिए जा सकते।
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निर्णय
कोर्ट ने निर्देश दिया:
“मामले को 29 दिसंबर के लिए सूचीबद्ध किया जाए। अगली सुनवाई तक कोई नया खनन अनुमति पत्र जारी न किया जाए।”
निर्णय यहीं समाप्त होता है अब अगली सुनवाई का इंतज़ार।
Case Title:
- In Re: Definition of Aravalli Hills and Ranges and Ancillary Issues










