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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का अहम फैसला: अधिक अंक पाने वाली महिला अभ्यर्थी को उम्र के आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता

श्रीमती प्रीतम कौर बनाम मध्य प्रदेश राज्य और अन्य मामले में, MP हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि जिन महिला उम्मीदवारों को उम्र में छूट दी गई है, उन्हें अगर मेरिट में ज़्यादा नंबर मिलते हैं, तो उन्हें ओपन कैटेगरी में सिलेक्शन से मना नहीं किया जा सकता।

Vivek G.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट का अहम फैसला: अधिक अंक पाने वाली महिला अभ्यर्थी को उम्र के आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर ने सरकारी भर्ती में महिला अभ्यर्थियों के साथ की गई आयु-आधारित भेदभावपूर्ण कार्रवाई पर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब विज्ञापन में महिलाओं को आयु-सीमा में छूट दी गई है, तो केवल इस आधार पर कि वह ओपन कैटेगरी की अधिकतम आयु से ऊपर हैं, उन्हें चयन से बाहर नहीं किया जा सकता।
यह फैसला स्म्ट. प्रीतम कौर बनाम मध्यप्रदेश राज्य व अन्य मामले में आया है, जिसमें चयन प्रक्रिया की वैधता को चुनौती दी गई थी।

मामले की पृष्ठभूमि

यह विवाद संयुक्त भर्ती परीक्षा 2023 से जुड़ा है, जिसमें नेत्र सहायक (Eye Assistant) के तीन पदों के लिए विज्ञापन जारी किया गया था।

इनमें से दो पद अनारक्षित (ओपन) और एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थे। याचिकाकर्ता स्म्ट. प्रीतम कौर ने पात्रता पूरी करते हुए आवेदन किया और परीक्षा में 65.97 अंक प्राप्त किए।

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वहीं, निजी प्रतिवादी (प्रतिवादी क्रमांक 5) को 62.88 अंक मिले। इसके बावजूद चयन सूची में प्रतिवादी को “मेरिट-1” दर्शाकर नियुक्ति दे दी गई, जबकि अधिक अंक होने के बावजूद याचिकाकर्ता का नाम मेरिट कॉलम में नहीं डाला गया।

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि विज्ञापन के क्लॉज 9.3 के अनुसार महिला उम्मीदवारों को अधिकतम 45 वर्ष तक की आयु-छूट दी गई है।
इसके बावजूद राज्य सरकार ने यह तर्क दिया कि चूंकि ओपन कैटेगरी के लिए आयु सीमा 18 से 40 वर्ष है, इसलिए 40 वर्ष से अधिक उम्र होने पर याचिकाकर्ता को अयोग्य मान लिया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह व्याख्या न सिर्फ गलत है, बल्कि महिलाओं के लिए दी गई आयु-छूट के उद्देश्य के भी खिलाफ है।

राज्य सरकार और चयन बोर्ड की ओर से कहा गया कि ओपन कैटेगरी में कोई अलग से “महिला पद” आरक्षित नहीं था।

इसलिए महिला उम्मीदवार को भी 18–40 वर्ष की सीमा में ही आना चाहिए। सरकार ने दावा किया कि चयन पूरी तरह नियमों के अनुसार किया गया है।

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कोर्ट का अवलोकन

जस्टिस दीपक खोट ने रिकॉर्ड और नियमों का विस्तार से अध्ययन करते हुए राज्य की दलीलों को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा,

“ओपन अनारक्षित श्रेणी सभी के लिए खुली होती है। यदि किसी महिला अभ्यर्थी को नियमों के तहत आयु-छूट दी गई है, तो उसे सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह 40 वर्ष से अधिक है।”

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि महिला उम्मीदवार क्षैतिज आरक्षण की श्रेणी में आती हैं, लेकिन जब वे ओपन कैटेगरी में अधिक अंक लाती हैं, तो उन्हें सामान्य अभ्यर्थी के समान ही माना जाएगा।

हाईकोर्ट ने Richa Mishra बनाम छत्तीसगढ़ राज्य (2016) के सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था कि महिलाओं को दी गई आयु-छूट का उद्देश्य उनके रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।

ऐसी छूट का लाभ देकर फिर उसी के आधार पर उन्हें प्रतियोगिता से बाहर करना कानून की भावना के खिलाफ है।

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अंतिम निर्णय

कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ता ने प्रतिवादी से अधिक अंक प्राप्त किए थे और वह महिला उम्मीदवार होने के नाते आयु-छूट की पात्र थीं।
इस आधार पर हाईकोर्ट ने:

  • 15 फरवरी 2024 का नियुक्ति आदेश रद्द कर दिया
  • अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के मामले पर उसकी मेरिट और अंकों के आधार पर पुनः विचार किया जाए

इसके साथ ही याचिका स्वीकार करते हुए मामले का निपटारा कर दिया गया।

Case Title: Smt. Pritam Kaur vs State of Madhya Pradesh & Others

Case No.: Writ Petition No. 5390 of 2024

Case Type: Service / Recruitment Matter

Decision Date: 4 December 2025

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