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सुप्रीम कोर्ट ने रिदम गोयल की जमानत रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया, सरेंडर का निर्देश

रिदम अरविंद गोयल बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य, सुप्रीम कोर्ट ने रिदम गोयल की जमानत पर बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया, सरेंडर और नई जमानत अर्जी पर निर्देश दिए।

Vivek G.
सुप्रीम कोर्ट ने रिदम गोयल की जमानत रद्द करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराया, सरेंडर का निर्देश

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच में रिदम अरविंद गोयल से जुड़ी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया, जिसमें सेशंस कोर्ट द्वारा दी गई नियमित जमानत को रद्द कर दिया गया था। कोर्ट ने साफ किया कि निचली अदालत ने प्रक्रिया से जुड़े गंभीर प्रावधानों की अनदेखी की थी।

मामले की पृष्ठभूमि

मामला मुंबई के अंबोली पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर से जुड़ा है। रिदम गोयल पर भारतीय न्याय संहिता, 2023 (BNS) की कई धाराओं में केस दर्ज किया गया था। सेशंस कोर्ट ने उन्हें दो आधारों पर जमानत दी थी-

  1. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 35(3) का पालन न होना, और
  2. BNSS की धारा 48 का कथित उल्लंघन।

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पीड़ित पक्ष ने इस आदेश को Bombay High Court में चुनौती दी। हाईकोर्ट ने दोनों आधारों की विस्तार से जांच करते हुए सेशंस कोर्ट के फैसले को गलत ठहराया और जमानत रद्द कर दी।

इसके बाद रिदम गोयल ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ Supreme Court of India में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सोमवार को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकीलों की दलीलें काफ़ी देर तक सुनीं।

अदालत की टिप्पणियां

कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि हाईकोर्ट द्वारा निकाले गए निष्कर्ष कानून के अनुरूप हैं। पीठ ने टिप्पणी की,

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“हमारी राय में हाईकोर्ट के निष्कर्ष पूरी तरह सही हैं और सेशंस कोर्ट ने इन आधारों पर जमानत देते हुए स्पष्ट त्रुटि की।”

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि सेशंस कोर्ट ने जमानत देते समय कानूनन जरूरी प्रक्रिया का सही ढंग से पालन नहीं किया था। ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप का कोई कारण नहीं बनता।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी नोट किया कि हाईकोर्ट ने सही रूप से यह बात दर्ज की थी कि सेशंस कोर्ट ने आरोपी की जमानत को मेरिट यानी तथ्यों के आधार पर नहीं परखा था।
इसी वजह से शीर्ष अदालत ने यह स्पष्ट किया कि आरोपी को आगे चलकर जमानत के लिए एक और मौका मिल सकता है, लेकिन सही कानूनी प्रक्रिया के तहत।

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कोर्ट का अंतिम आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अनुमति याचिका का निपटारा करते हुए निर्देश दिए कि—

  • याचिकाकर्ता, यदि चाहें, तो हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार एक सप्ताह के भीतर सरेंडर करें।
  • इसके बाद वे सेशंस कोर्ट में मेरिट के आधार पर नई जमानत याचिका दाखिल कर सकते हैं।
  • सेशंस कोर्ट को निर्देश दिया गया है कि वह इस जमानत अर्जी पर एक सप्ताह के भीतर और स्वतंत्र रूप से फैसला करे, बिना हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों से प्रभावित हुए।

इसी के साथ सभी लंबित आवेदन भी निस्तारित कर दिए गए।

Case Title: Rhythm Arvind Goyal vs State of Maharashtra & Another

Case No.: Special Leave Petition (Criminal) No. 21199 of 2025

Case Type: Criminal – Bail Matter

Decision Date: 29 December 2025

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Official judgment document (PDF)
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