मेन्यू
समाचार खोजें...
होम

नकली मुद्रा मामले में आधी सज़ा काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत

ओम प्रकाश @ मोहित सिंह बनाम मध्य प्रदेश राज्य, सुप्रीम कोर्ट ने नकली मुद्रा मामले में 4.5 साल जेल काट चुके ओम प्रकाश को जमानत दी, हाईकोर्ट आदेश रद्द किया और लंबित अपील देरी पर चिंता जताई।

Abhijeet Singh
नकली मुद्रा मामले में आधी सज़ा काटने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को दी जमानत

बुधवार को हुई एक संक्षिप्त मगर अहम सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का आदेश खारिज करते हुए ओम प्रकाश @ मोहित सिंह को जमानत दे दी, जो नकली मुद्रा छापने के मामले में 10 साल की सज़ा काट रहा था। मुख्य न्यायाधीश सुर्या कांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी महसूस किया कि अपीलकर्ता, जो कानूनी सहायता के ज़रिये पेश हुआ, पहले ही काफी समय जेल में बिता चुका है।

पृष्ठभूमि

यह मामला मार्च 2017 का है, जब पुलिस ने ओम प्रकाश को कथित तौर पर नकली नोट छापने के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में ट्रायल कोर्ट ने उसे आईपीसी की धाराओं 489A से 489D-जो नकली नोट बनाने और चलाने से संबंधित हैं-के तहत दोषी ठहराया और सितंबर 2021 में 10 साल की कैद की सज़ा सुनाई।

Read also: मद्रास हाई कोर्ट ने 'अनडिटेक्टेड' चोरी मामलों में 30% मुआवज़े का आदेश दिया, पुलिस जांच में प्रणालीगत

तब से उसकी आपराधिक अपील मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में लंबित है। इन वर्षों में ओम प्रकाश ने सज़ा निलंबन के लिए छह आवेदन दायर किए, और सभी खारिज हो गए। सातवां आवेदन लंबित था जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा।

अपीलकर्ता के वकील ने अदालत को बताया कि उनका मुवक्किल एक हाशिए पर रहने वाले समुदाय से आता है और मुफ्त कानूनी सहायता की मदद से केस लड़ रहा है। यह बात कोर्ट नंबर 1 में बैठे जजों को भी महसूस होती दिखी।

अदालत की टिप्पणियाँ

पीठ ने माना कि 2021 में दायर की गई अपील का जल्द निपटारा होना मुश्किल है। “पीठ ने कहा, ‘उन्होंने चार साल छह महीने से ज़्यादा सज़ा काट ली है… अपील को अपने समय से निपटना होगा,’” यह दर्शाते हुए कि अदालत लंबी कैद को लेकर चिंतित थी।

Read also: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवाह और पीड़िता के बयान के आधार पर POCSO कार्यवाही की, कहा-ट्रायल जारी रखना

जजों ने यह भी नोट किया कि ओम प्रकाश का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, जो आमतौर पर जमानत के पक्ष में महत्वपूर्ण माना जाता है। साथ ही, अपीलकर्ता की सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता-यह बात अदालत ने स्पष्ट रूप से कही।

दिलचस्प बात यह रही कि भले ही बचाव पक्ष ने बताया कि हाईकोर्ट में एक नया जमानत आवेदन पहले से लंबित है, सुप्रीम कोर्ट ने उसे वहीं वापस भेजने से मना कर दिया। एक जज ने अनौपचारिक रूप से कहा, “फिर उसे दोबारा क्यों दौड़ाएं?”, जो कि एक व्यावहारिक रवैया दिखाता है, सिर्फ़ प्रक्रिया पर टिका हुआ नहीं।

Read also: कर्नाटक हाई कोर्ट ने सेवानिवृत्त हेडमास्टर के खिलाफ जाति-जांच आदेश रद्द किए, कहा-सिविल राइट्स सेल की

निर्णय

आखिरकार, सुप्रीम कोर्ट ने अपील को स्वीकार करते हुए सज़ा निलंबित कर दी और निर्देश दिया कि ओम प्रकाश को उचित बांड दाखिल करने के बाद ट्रायल कोर्ट के समक्ष जमानत पर रिहा किया जाए। अदालत ने यह भी कहा कि हाईकोर्ट में लंबित उसका सातवाँ जमानत आवेदन अब निरर्थक माना जाएगा। आदेश यहीं समाप्त हो गया, बिना किसी अतिरिक्त निर्देश के।

Case Title: Om Prakash @ Mohit Singh vs. State of Madhya Pradesh

Case No.: Criminal Appeal (Arising out of SLP (Crl.) No. 17169/2025)

Case Type: Criminal Appeal – Suspension of Sentence / Bail

Decision Date: 26 November 2025

📄 Download Full Court Order
Official judgment document (PDF)
Download

More Stories