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केरल हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास भुगत रहे कैदी को आपातकालीन छुट्टी देने से किया इनकार, रिश्ते की निकटता पर उठे सवाल

स्मिता पी.जी. बनाम केरल राज्य, केरल हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में आजीवन कारावास काट रहे कैदी को रिश्ते की निकटता न होने पर आपातकालीन छुट्टी देने से इनकार किया।

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केरल हाईकोर्ट ने आजीवन कारावास भुगत रहे कैदी को आपातकालीन छुट्टी देने से किया इनकार, रिश्ते की निकटता पर उठे सवाल

एर्नाकुलम स्थित केरल हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदी को आपातकालीन छुट्टी देने से इनकार कर दिया। अदालत ने साफ कहा कि मृतक और कैदी के बीच संबंध इतना निकट नहीं है कि आपातकालीन अवकाश दिया जा सके।

मामले की पृष्ठभूमि

यह मामला डब्ल्यूपी (क्रिमिनल) नंबर 1810/2025 से जुड़ा है। याचिकाकर्ता स्मिता पी.जी. ने अपने पति ज्योति बाबू की ओर से याचिका दायर की थी। ज्योति बाबू इस समय कन्नूर सेंट्रल जेल में बंद हैं और उन्हें एक हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।

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याचिका में बताया गया कि 28 दिसंबर 2025 को कैदी के पिता के भाई के बेटे का निधन हो गया। परिवार का तर्क था कि ज्योति बाबू ही परिवार के सबसे वरिष्ठ पुरुष सदस्य हैं और वही अंतिम संस्कार से जुड़े धार्मिक कर्मकांड कर सकते हैं। इसी आधार पर जेल अधीक्षक के समक्ष दस दिनों की आपातकालीन छुट्टी का अनुरोध किया गया।

याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह एक असाधारण पारिवारिक स्थिति है और धार्मिक परंपराओं के निर्वहन के लिए कैदी की उपस्थिति जरूरी है। वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश लोक अभियोजक ने इस मांग का विरोध किया।

सरकारी पक्ष ने तर्क दिया कि मृतक और कैदी के बीच रिश्ता बहुत करीबी नहीं है और ऐसे मामलों में छुट्टी देना नियमों के विपरीत होगा।

कोर्ट का अवलोकन

न्यायमूर्ति जॉबिन सेबेस्टियन ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद रिकॉर्ड का अवलोकन किया। अदालत ने पाया कि कैदी की पत्नी द्वारा जेल प्रशासन को आवेदन जरूर दिया गया था, लेकिन इस बात का कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया कि कैदी ही अंतिम संस्कार करने वाला एकमात्र योग्य व्यक्ति है।

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अदालत ने टिप्पणी की,
“मृतक न तो कैदी का माता-पिता है और न ही भाई-बहन। वह केवल पिता के भाई का पुत्र है, जिसे निकट संबंध नहीं माना जा सकता।”

कोर्ट ने यह भी कहा कि आपातकालीन छुट्टी या पैरोल जैसे मामलों में जरूरत से ज्यादा नरमी न्याय के हित में नहीं होती, खासकर तब जब कैदी गंभीर अपराध, जैसे हत्या, में दोषी ठहराया गया हो।

अंतिम फैसला

इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए केरल हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और कैदी को आपातकालीन छुट्टी देने से इनकार कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में रिश्ते की निकटता और ठोस प्रमाण बेहद जरूरी होते हैं, जो इस मामले में मौजूद नहीं थे।

Case Title: Smitha P.G. v. State of Kerala.

Case No.: WP(Crl.) No. 1810 of 2025

Case Type: Criminal Writ Petition

Decision Date: 30 December 2025

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